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एक्सिओम-4 ने आईएसएस के लिए भरी उड़ान; राष्ट्रपति-पीएम मोदी ने दी बधाई

भारतीय वायुसेना: के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम मिशन-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की ओर ऐतिहासिक उड़ान भरी।
वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं, और इस बार अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के तहत भारत अग्रणी भूमिका में है।


देश हुआ गौरवान्वित, भावुक हुए परिजन

लखनऊ में शुभांशु के परिजनों ने स्कूल में बैठकर लॉन्चिंग का लाइव प्रसारण देखा।
उनकी बहन शुचि मिश्रा ने कहा:

“यह बेहद भावुक पल था, मेरे पास शब्द नहीं हैं। हमें गर्व है कि पहला स्टेज सफल रहा, आगे की यात्रा के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।”


‘क्या सफर है!’ – शुभांशु का संदेश अंतरिक्ष से

अंतरिक्ष में जाते ही ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का भावनात्मक संदेश आया:

“नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों! क्या सफर है! 7.5 किमी/सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा हूं।
कंधे पर तिरंगा है, जो मुझे आपसे जोड़े रखता है।
यह सिर्फ मेरी नहीं, भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। जय हिंद, जय भारत!”


पीएम मोदी बोले – भारत की आकांक्षाएं ले गए हैं शुभांशु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्सिओम मिशन की लॉन्चिंग पर कहा:

“शुभांशु शुक्ला 1.4 बिलियन भारतीयों की उम्मीदें और सपने लेकर गए हैं। भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरना हमारे लिए गौरव का क्षण है।”


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश

राष्ट्रपति ने ट्वीट कर लिखा:

“शुभांशु शुक्ला ने नया मील का पत्थर स्थापित किया है। देश इस ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से गौरवान्वित है।”


केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया – अंतरिक्ष में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका

उन्होंने कहा:

“1984 में भारत अंतरिक्ष कार्यक्रम के शुरुआती चरण में था, लेकिन आज भारत एक समान भागीदार ही नहीं, अग्रणी भूमिका में है।
शुभांशु सात श्रेणियों के वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे, जो पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होंगे।”


IAF ने कहा – ‘सितारों को छूने निकला भारत का सपूत’

भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया:

“आसमान से सितारों तक भारत की उड़ान। शुभांशु शुक्ला ने राकेश शर्मा की विरासत को आगे बढ़ाया है। यह सिर्फ मिशन नहीं, विकसित भारत की उड़ान है।”


कैसे चुने गए शुभांशु?

करीब दो साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी वाशिंगटन यात्रा पर थे, तभी इस मिशन की योजना पर सहमति बनी।
भारत के गगनयान मिशन के लिए प्रशिक्षण ले रहे चार वायुसेना अधिकारियों में से शुभांशु सबसे युवा थे।
प्रशांत नायर स्टैंडबाय पर रहे और अंततः शुभांशु को मिशन का चेहरा चुना गया।


निष्कर्ष:

भारत ने 41 साल बाद अंतरिक्ष की ओर फिर से कदम बढ़ाया है, लेकिन इस बार सिर्फ यात्री नहीं, नेता बनकर
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के आत्मनिर्भर और विकसित अंतरिक्ष मिशन की नई शुरुआत है।

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