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अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू: अमित शाह ने की आरती, पहली बार दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर

अहमदाबाद: में आज शुक्रवार सुबह भव्य परंपरा और उल्लास के साथ भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथयात्रा का शुभारंभ हुआ। इस आयोजन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपनी पत्नी और परिवार के साथ उपस्थित हुए और सुबह मंगला आरती कर रथयात्रा की शुरुआत की। इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का भोग लगाया गया और मंदिर में गूंजते जयकारों के बीच सुबह 7:30 बजे रथयात्रा रवाना हुई।

इस वर्ष की रथयात्रा में एक नया अध्याय जुड़ा, जब भगवान जगन्नाथ की रथ को गार्ड ऑफ ऑनर (Guard of Honour) दिया गया। यह अपने आप में पहली बार हुआ है और यह श्रद्धालुओं के लिए गौरव का क्षण बन गया।


ऐतिहासिक यात्रा का आध्यात्मिक संगम

जमालपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से रवाना हुई यह रथयात्रा शहर की प्रमुख सड़कों से होती हुई कई धार्मिक स्थलों और रिहायशी इलाकों से होकर गुजरेगी। पूरे मार्ग पर श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा और भजन-कीर्तन से भगवान का स्वागत किया। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी संख्या में पुलिसबल और स्वयंसेवी संगठनों को तैनात किया गया है।


पुरी में दोपहर 1 बजे रथारूढ़ होंगे भगवान

ओडिशा के पुरी शहर में भी रथयात्रा का विशेष आयोजन किया गया है। यहां दोपहर 1 बजे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथ पर विराजमान होंगे और यात्रा आरंभ होगी। पुरी में लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे और पूरे देश से श्रद्धालुओं की आमद जारी है। रथयात्रा से पहले स्नान यात्रा, नेत्र उत्सव और नवान्न भोग की विशेष पूजा संपन्न हुई।


विशेष आकर्षण और भक्तों की आस्था

  • भक्तों में भारी उत्साह: कई भक्त भगवान के रथ को खींचने के लिए सैकड़ों किलोमीटर से आए हैं।
  • श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधा: नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस ने मिलकर विशेष इंतजाम किए हैं।
  • सोशल मीडिया पर लाइव कवरेज: देश-विदेश के लाखों भक्त यूट्यूब और फेसबुक लाइव से जुड़े हुए हैं।

अमित शाह ने क्या कहा?

आरती के बाद मीडिया से बातचीत में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “भगवान जगन्नाथ की कृपा से देश में समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य का वातावरण बना रहेगा। यह यात्रा आस्था, एकता और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।”


निष्कर्ष

जगन्नाथ रथयात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना का जीवंत प्रमाण है। अहमदाबाद और पुरी दोनों स्थानों पर यह उत्सव धर्म, भक्ति और समर्पण की त्रिवेणी बन गया है।

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