उत्तर प्रदेशलखनऊ

लखनऊ में ट्रैफिक पुलिस और LDA का अनोखा ट्रायल: चौराहों पर रखीं सैकड़ों मिट्टी भरी बोरियां

जाम की समस्या से राहत दिलाने के लिए शुरू हुआ विशेष सर्वे, प्रमुख चौराहों पर हो रहा ट्रैफिक पैटर्न का परीक्षण

लखनऊ: राजधानी लखनऊ की यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने और लगातार लगने वाले जाम से निजात दिलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस और LDA (लखनऊ विकास प्राधिकरण) ने मिलकर सोमवार से एक अनोखा ट्रायल शुरू किया है। इसके तहत शहर के प्रमुख चौराहों पर सैकड़ों मिट्टी से भरी बोरियां रखी गईं, ताकि ट्रैफिक फ्लो को मापा जा सके और जाम के कारणों की बेहतर पहचान की जा सके।


ट्रैफिक डायवर्जन, लेन सिस्टेम और वाहन मोड़ने की दिशा में प्रयोग

ट्रैफिक पुलिस के अनुसार यह ट्रायल सुबह 6 बजे से शुरू हुआ। जिन चौराहों और सड़कों पर अकसर ट्रैफिक जाम लगता है, वहां पर बोरियां इस तरह रखी गईं हैं कि वे अस्थायी बैरिकेडिंग या सड़कों की चौड़ाई को सीमित करने का कार्य करें। इससे यह समझा जा सकेगा कि सड़कों का कौन सा हिस्सा वाहन दबाव झेल सकता है और कहां बदलाव की आवश्यकता है।


ये हैं प्रमुख लोकेशन जहाँ रखा गया है ट्रैफिक ट्रायल

  • हजरतगंज चौराहा

  • एशबाग – कैसरबाग मार्ग

  • गोमती नगर विस्तार

  • चारबाग रेलवे स्टेशन रोड

  • अलीगंज – कपूरथला चौराहा

इन स्थानों पर दिनभर ट्रैफिक पैटर्न को मॉनिटर किया जाएगा और ड्रोन कैमरों से डेटा एकत्र किया जा रहा है।


LDA और ट्रैफिक विभाग मिलकर तैयार करेंगे स्थायी समाधान

एलडीए के अधिकारियों के अनुसार, इस सर्वे और ट्रायल के माध्यम से यह मूल्यांकन किया जा रहा है कि किस जगह पर फ्लाईओवर, सिग्नल सुधार, डिवाइडर बदलाव या नया रूट बनाया जा सकता है। इन बोरियों के जरिए आर्टिफिशियल ब्लॉकेज बनाकर जाम की वास्तविकता और ट्रैफिक की दिशा को समझा जा रहा है।


लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

कुछ वाहन चालकों और राहगीरों ने इस पहल की सराहना की है, जबकि कुछ ने अस्थायी असुविधा के लिए नाराजगी जताई। एक ऑटो चालक ने कहा, “अगर ये प्रयोग जाम को स्थायी रूप से कम करता है तो थोड़ी परेशानी सहने में दिक्कत नहीं।”

वहीं एक स्थानीय दुकानदार ने कहा कि सुबह ऑफिस टाइम में अचानक सड़कों पर बोरियां देखने को मिलीं, जिससे भ्रम की स्थिति भी बनी।


ट्रायल के नतीजे के आधार पर आगे की कार्य योजना

ट्रैफिक पुलिस कमिश्नर ने बताया कि ट्रायल से मिले डेटा का विश्लेषण करके दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद संबंधित चौराहों या सड़कों पर सिविल वर्क्स, लेन रीडिज़ाइनिंग या ट्रैफिक रूट बदलने जैसे कदम उठाए जाएंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button