RSS की दिल्ली मीटिंग में उठे बड़े सवाल: PM मोदी का भविष्य, BJP अध्यक्ष की अगली रेस और मिशनरी विस्तार पर रणनीति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय बैठक में पंजाब सहित देशभर में धर्मांतरण के मुद्दे पर चर्चा, PM मोदी की सक्रिय राजनीति को लेकर बनी अटकलें

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS): की एक अहम रणनीतिक बैठक हाल ही में दिल्ली में संपन्न हुई। इस बैठक में दो प्रमुख विषयों पर विशेष रूप से चर्चा की गई— पहला, इस साल 75 वर्ष के होने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सक्रिय राजनीति में भविष्य, और दूसरा, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति। इसके साथ ही, देश के कुछ राज्यों विशेषकर पंजाब में चल रही ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों और धर्मांतरण के विषय पर भी गहन मंथन हुआ।
PM मोदी के राजनीतिक भविष्य पर सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे। संघ और पार्टी दोनों के भीतर यह सवाल उठने लगा है कि क्या मोदी 2029 तक पूर्ण कार्यकाल तक सक्रिय भूमिका में बने रहेंगे या नहीं। हालांकि, इस मुद्दे पर कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है, परंतु संघ के वरिष्ठ नेताओं ने भविष्य की रूपरेखा को लेकर विचार-विमर्श जरूर किया।
BJP के नए अध्यक्ष की तलाश
JP नड्डा का कार्यकाल समाप्ति की ओर है और पार्टी अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष की खोज में जुट गई है। सूत्रों के अनुसार, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, और केशव प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं के नाम चर्चा में हैं। यह निर्णय भी संघ और पार्टी के सामूहिक विचार-विमर्श के बाद ही तय होगा।
धर्मांतरण पर सख्ती की रणनीति
बैठक में संघ ने देशभर में ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण अभियानों को लेकर चिंता जताई। विशेष रूप से पंजाब, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में तेजी से फैल रही मिशनरी गतिविधियों को रोकने की रणनीति पर चर्चा हुई।
सूत्रों के अनुसार, संघ अब मिशनरियों के प्रभाव को संतुलित करने के लिए स्थानीय सिख और हिंदू संतों की मदद से सामाजिक चेतना अभियान शुरू करेगा। यह अभियान धार्मिक तनाव से दूर रहकर धार्मिक-सांस्कृतिक जागरूकता और सेवा कार्यों के जरिए लोगों को जोड़ने की दिशा में होगा।
पंजाब पर विशेष ध्यान
बैठक में विशेष रूप से पंजाब के मालवा और दोआबा क्षेत्रों में बढ़ रही मिशनरी गतिविधियों पर चिंता जताई गई। संघ नेताओं ने प्रस्ताव दिया कि सिख और हिंदू संतों के माध्यम से लोगों में आस्था और विरासत के प्रति जागरूकता फैलाई जाए, ताकि बाहरी प्रभावों को रोका जा सके।
संघ की रणनीति – सेवा के माध्यम से जुड़ाव
संघ की रणनीति सीधे टकराव की नहीं बल्कि सामाजिक जुड़ाव और सेवा कार्यों की है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और ग्राम विकास योजनाओं के ज़रिए संघ स्थानीय समुदायों में अपनी पकड़ और भरोसा मजबूत करने की तैयारी कर रहा है।
निष्कर्ष
दिल्ली में संपन्न RSS की इस बैठक से साफ संकेत मिलते हैं कि आने वाले महीनों में BJP और RSS राजनीतिक नेतृत्व, धार्मिक-सामाजिक संतुलन, और संगठनात्मक ढांचे को नए स्वरूप में ढालने की तैयारी में हैं। विशेष रूप से धर्मांतरण और मिशनरी प्रभाव जैसे विषयों पर सख्त लेकिन संतुलित कदम उठाए जाने की उम्मीद की जा रही है।