
नई दिल्ली | नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोर्ट में पेश होकर आरोप लगाया है कि इस केस में फर्जी लेन-देन और साजिशन अधिग्रहण का खेल रचा गया था।
💼 ईडी का दावा: 2000 करोड़ की संपत्ति, कर्ज सिर्फ 90 करोड़
ईडी की ओर से पेश हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बताया कि
“एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के पास करीब 2000 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति थी, जिसे यंग इंडियन लिमिटेड ने महज 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बहाने अपने कब्जे में ले लिया। यह एक सुनियोजित धांधली थी।”
ईडी ने बताया कि यंग इंडियन कंपनी सिर्फ इस अधिग्रहण के लिए बनाई गई थी और इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी है।
🏢 क्या था पूरा मामला?
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नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में पं. जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
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वर्ष 2008 में अखबार ने कर्ज के बोझ तले अपना प्रकाशन बंद कर दिया था।
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2012 में भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने यंग इंडियन कंपनी के माध्यम से धोखाधड़ी से एजेएल की संपत्ति हथिया ली है।
इसके बाद ईडी ने जांच शुरू की।
⚖️ ईडी की चार्जशीट में मुख्य बिंदु:
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एजेएल ने कांग्रेस को लिखा था कि वे कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं हैं।
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इसके बाद यंग इंडियन ने एजेएल का अधिग्रहण कर लिया।
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कांग्रेस ने 90 करोड़ का कर्ज दिया, लेकिन ना ब्याज लिया, ना जमानत रखी।
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बाद में यह कर्ज सिर्फ 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया।
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इससे जुड़े सभी निर्णय सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इशारे पर लिए गए।
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यंग इंडियन के अन्य निदेशकों में सुमन दुबे और सैम पित्रोदा भी शामिल थे।
🔍 ईडी की दलील: “कोई असल लेन-देन नहीं हुआ”
एसवी राजू ने कहा:
“इस पूरे अधिग्रहण में कोई वास्तविक ट्रांजेक्शन नहीं हुआ। यह केवल दस्तावेज़ी फर्जीवाड़ा है। कांग्रेस पार्टी ने एजेएल का अधिग्रहण नहीं किया, बल्कि यंग इंडियन नामक एक नई कंपनी ने, जो कांग्रेस के ही नेताओं द्वारा चलाई जा रही थी।”
📚 कानूनी मोर्चे पर कांग्रेस की चिंता बढ़ी
इस खुलासे से कांग्रेस हाईकमान पर कानूनी शिकंजा कसता दिख रहा है।
यदि अदालत में ईडी के इन दावों को पर्याप्त सबूतों के आधार पर सही माना गया, तो नेशनल हेराल्ड मामला कांग्रेस के लिए बड़ी राजनीतिक और कानूनी चुनौती बन सकता है।
📌 निष्कर्ष: राजनीति और संपत्ति की लड़ाई में नया मोड़
नेशनल हेराल्ड केस अब सिर्फ संपत्ति विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा और कानून के बीच लड़ाई का नया चेहरा बन चुका है। आने वाले समय में कोर्ट की सुनवाई और ईडी की अगली कार्रवाई पर देशभर की निगाहें टिकी होंगी।