♟️ दिव्या देशमुख ने रचा नया इतिहास, नागपुर में हुआ जोरदार स्वागत
फिडे महिला शतरंज विश्व कप 2025 जीतकर भारत की 19 वर्षीय शतरंज स्टार दिव्या देशमुख ने देश को गर्व का मौका दिया है। सोमवार को खिताब जीतने के बाद बुधवार रात दिव्या अपने गृह नगर नागपुर लौटीं। नागपुर एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत हुआ, जहां परिवार, प्रशंसक और शतरंज संघ के पदाधिकारी मौजूद थे।
🏆 सबसे कम उम्र की चैंपियन बनीं दिव्या
दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया के बटुमी शहर में खेले गए ऑल-इंडियन फाइनल में दिग्गज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को टाई-ब्रेकर मुकाबले में हराकर यह खिताब जीता। इसके साथ ही वे महिला विश्व कप जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।
👨👩👧 परिवार और कोच को दिया जीत का श्रेय
नागपुर पहुंचने पर दिव्या ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“मुझे यह स्नेह पाकर बहुत खुशी हुई। यह देखकर अच्छा लग रहा है कि इतनी भीड़ मेरा स्वागत करने के लिए यहां इकट्ठा हुई है। मैं इस जीत का श्रेय अपने परिवार, खासकर अपनी बहन और पहले कोच राहुल जोशी को देना चाहती हूं। उन्होंने ही मुझे ग्रैंड मास्टर बनने का सपना दिखाया था।”
🎉 नागपुर एयरपोर्ट पर हुआ स्वागत समारोह
दिव्या के स्वागत के लिए नागपुर एयरपोर्ट पर प्रशंसकों और परिजनों की भारी भीड़ उमड़ी। उनके साथ महाराष्ट्र शतरंज संघ के अध्यक्ष परिणय फुके भी मौजूद थे। सभी की आंखों में खुशी और गर्व साफ झलक रहा था।
🏅 2 अगस्त को होगा सम्मान समारोह
दिव्या को 2 अगस्त 2025 को नागपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा सम्मानित किया जाएगा। इससे पहले दिव्या कुछ दिन विश्राम करेंगी और फिर ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट में भाग लेंगी।
👪 परिवार की खुशी: “हमारे खुशी के आंसू रुक नहीं रहे”
दिव्या की चाची स्मिता देशमुख ने पत्रकारों से कहा,
“दिव्या ने हमारे परिवार, नागपुर, महाराष्ट्र और पूरे भारत को गौरवान्वित किया है। उनकी मेहनत और समर्पण को देखकर हम सभी भावुक हैं। हम ईश्वर का धन्यवाद करते हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।”
🇮🇳 भारत को मिली नई चेस क्वीन
दिव्या की यह जीत सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि देश की बेटियों की काबिलियत और भारत की उभरती खेल संस्कृति का प्रमाण है। वर्षों बाद महिला शतरंज विश्व कप भारत की झोली में आया है, और वह भी एक किशोरवय की बेटी के हाथों।
📌 निष्कर्ष:
दिव्या देशमुख की जीत केवल एक शतरंज टूर्नामेंट का खिताब नहीं है, यह नई पीढ़ी की लड़कियों के लिए प्रेरणा और भारत की खेल जगत में नई उम्मीद की किरण है। आने वाले वर्षों में दिव्या का ग्रैंड मास्टर बनने का सपना जरूर पूरा होगा, और भारत को और भी गौरव प्रदान करेगी।