उत्तर प्रदेश

कन्नौज में कोतवाली घेराव पर लाठीचार्ज: पुलिस की पिटाई से मचा हड़कंप, घायल हुए कई प्रदर्शनकारी

नाबालिग की मौत पर इंसाफ की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस का बर्बर लाठीचार्ज, कई संगठन हुए एकजुट

कन्नौज (छिबरामऊ): जिले के छिबरामऊ कस्बे में सोमवार की रात पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनावपूर्ण झड़प हो गई। एक नाबालिग लड़की की संदिग्ध मौत के विरोध में जुटी भीड़ ने जब कोतवाली का घेराव किया, तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। भीड़ में व्यापारी, किसान और सर्वसमाज के प्रतिनिधि शामिल थे।

प्रदर्शनकारी एक निजी अस्पताल के डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे, जिस पर इलाज के दौरान लापरवाही का आरोप है। आरोप है कि पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे लोगों पर अचानक लाठीचार्ज कर दिया, जिससे कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए।


क्या है पूरा मामला?

छिबरामऊ के बुद्धू कूंचा मोहल्ले के निवासी राजेश गुप्ता की 15 वर्षीय बेटी रुचि उर्फ लाडो को बुखार था। परिजन उसे 18 मई को पूर्वी बाईपास स्थित श्रीकृष्णा हॉस्पिटल ले गए। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर द्वारा दिए गए इंजेक्शन के बाद उसकी हालत और बिगड़ गई, और कुछ देर में उसकी मौत हो गई।

अस्पताल के बाहर शुरू हुआ था विरोध

घटना के बाद परिजनों और मोहल्लेवासियों ने अस्पताल के बाहर हंगामा किया और डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग की। मौके पर पहुंची पुलिस से तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए भीड़ को हटाया था।

19 मई को वीडियो वायरल, फिर भड़की भीड़

मामले का वीडियो 19 मई को सामने आया, जिसके बाद आक्रोश और बढ़ गया। देर शाम व्यापारी, किसान और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि कोतवाली पहुंचे और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। देखते ही देखते 500 से अधिक लोगों की भीड़ जमा हो गई।


अचानक हुआ लाठीचार्ज, कई घायल

भीड़ को हटाने के लिए पुलिस ने पीएसी बल बुलाया और अचानक लाठीचार्ज कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिलाएं और बुजुर्ग भी इस कार्रवाई की चपेट में आए। लोगों में इसे लेकर गहरा आक्रोश है।

अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने बताया, “सर्वसमाज का शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा था। हम केवल आरोपी डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय पीएसी बुलाकर बर्बर लाठीचार्ज करवा दिया। यह पूरी तरह निंदनीय है।”


पुलिस पर लगे गंभीर आरोप

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस डॉक्टर को बचाने की कोशिश कर रही है और इसलिए जनता की आवाज को दबाने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया गया।


मामले की जांच और आगे की कार्रवाई

इस पूरी घटना ने प्रशासन और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित परिवार अब न्याय की मांग कर रहा है, वहीं स्थानीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।


📌 निष्कर्ष:
छिबरामऊ में एक नाबालिग की संदिग्ध मौत और फिर उसपर हुए पुलिस लाठीचार्ज ने जिले में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस मामले में कितना पारदर्शी और न्यायप्रिय कदम उठाता है।

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