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गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर होती है क्या? महाकुंभ पर खरगे की टिप्पणी से नया विवाद

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की महाकुंभ पर की गई टिप्पणी से नया विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें उन्होंने गंगा में डुबकी लगाने को गरीबी दूर करने के उपाय के रूप में पेश किया।

मध्य प्रदेश के महू में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की एक टिप्पणी को लेकर नया विवाद उत्पन्न हो गया है। खरगे ने हाल ही में प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान गंगा में डुबकी लगाने को लेकर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने कहा, “क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर होती है, क्या इससे खाना मिलता है?” उनके इस बयान ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है।

खरगे के इस बयान को कई नेताओं और धार्मिक समुदायों ने असंवेदनशील और विवादित करार दिया। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह टिप्पणी महाकुंभ में लगने वाली भीड़ और उस दौरान होने वाले धार्मिक आयोजनों के संदर्भ में की थी, जहां लाखों लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं। उनका कहना था कि धार्मिक अनुष्ठानों से केवल आध्यात्मिक लाभ होता है, लेकिन गरीबी और अन्य सामाजिक समस्याओं का समाधान इससे नहीं हो सकता।

राजनीतिक हलकों में इस बयान पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ ने इसे खरगे का व्यक्तिगत विचार बताया, जबकि अन्य ने इसे भारतीय संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का अपमान करार दिया। इस टिप्पणी के बाद, राज्य में सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए इसे संकीर्ण मानसिकता का उदाहरण बताया है।

खरगे के बयान से न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मची है, बल्कि यह मुद्दा धार्मिक और सामाजिक बहस का भी कारण बन गया है। इस पर कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन यह निश्चित रूप से आगामी दिनों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

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