गोंडा में अनूठी पहल: गांव-गांव लग रही ग्राम चौपाल, मौके पर हो रहा समस्याओं का समाधान

गोंडा/लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप जनपद गोंडा में प्रशासन ने एक अनूठी और सराहनीय पहल की शुरुआत की है। “प्रशासन गांव की चौखट पर” के मूलमंत्र को साकार करते हुए जिले में ‘ग्राम चौपाल 3.0’ अभियान शुरू किया गया है, जिसमें अधिकारी गांवों में जाकर जनता की समस्याएं सुनकर मौके पर ही समाधान सुनिश्चित कर रहे हैं।
अनुसंधान-आधारित और समाधानोन्मुख अभियान
जिलाधिकारी नेहा शर्मा के निर्देशन में शुरू हुए इस अभियान की नींव IGRS पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों के विश्लेषण पर आधारित है। सबसे अधिक और बार-बार शिकायतें दर्ज करने वाले 40 ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर वहां अधिकारियों की टीम भेजी गई, ताकि शिकायतों का स्थलीय परीक्षण कर समस्या का दीर्घकालिक समाधान किया जा सके।
3 जून से हुई शुरुआत
3 जून से शुरू हुई इस पहल में डीएम स्वयं पथवलिया, पिपरा पदुम, उमरा, पुरैनिया, और दत्तनगर विशेन जैसे गांवों में पहुंचीं। जनता ने अपनी समस्याएं जैसे – बिजली, सड़क, नाली, राशन, विरासत, और शौचालय से संबंधित मुद्दे सामने रखे, जिनका मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को निर्देश देकर समाधान किया गया।
चौपाल में तत्काल समाधान:
- उमरा गांव में सरकारी भूमि पर बने अवैध शौचालय हटाने का आदेश।
- पुरैनिया गांव में वर्षों पुराना नाली विवाद सुलझाया गया।
- बिजली आपूर्ति को लेकर अधिकारियों को कड़ी चेतावनी।
गुणवत्ता, जवाबदेही और सहभागिता
डीएम ने स्पष्ट किया कि चौपाल का उद्देश्य सिर्फ समस्याएं सुनना नहीं, बल्कि स्थायी और गुणवत्तापूर्ण समाधान सुनिश्चित करना है। हर चौपाल से पहले केस-टू-केस समीक्षा, और बाद में नोडल अधिकारी की रिपोर्टिंग अनिवार्य की गई है। किसी भी तरह की लापरवाही पर जवाबदेही और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
ग्राम चौपाल 3.0 को खास बनाने वाले बिंदु:
✅ जन-जन तक शासन की सीधी पहुंच
✅ फील्ड में समाधान, फाइलों में नहीं
✅ जवाबदेही सुनिश्चित
✅ पारदर्शिता और जन सहभागिता
✅ हर शिकायत की केस आधारित समीक्षा
निष्कर्ष:
ग्राम चौपाल 3.0 न केवल शिकायतों के समाधान का सशक्त माध्यम बन रहा है, बल्कि यह प्रशासन और जनता के बीच भरोसे और पारदर्शिता की नई लकीर खींच रहा है। यह पहल दिखाती है कि जब प्रशासन जनता की चौखट पर पहुंचता है, तो समाधान भी वास्तविक और स्थायी होते हैं।