गोंडा

“फाइलेरिया मुक्त पंचायत” से झारखंड में फाइलेरिया उन्मूलन की नई शुरुआत: दीपिका पांडेय सिंह

400 से अधिक मुखियाओं को मिला लाभ, पीरामल फाउंडेशन के चार दिवसीय कार्यशाला से स्वास्थ्य नवाचार को मिली गति

रांची (झारखंड) : झारखंड में फाइलेरिया और कालाजार जैसे जानलेवा रोगों के उन्मूलन के लिए सरकार ने “फाइलेरिया मुक्त पंचायत” अभियान का आगाज किया है। इस दिशा में शनिवार को पीरामल फाउंडेशन द्वारा आयोजित चार दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन झारखंड की पंचायती राज मंत्री श्रीमती दीपिका पांडेय सिंह ने किया।


स्वस्थ, सुपोषित और सुरक्षित जीवन के लिए सामुदायिक सहभागिता आवश्यक: मंत्री दीपिका पांडेय

कार्यक्रम में दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि राज्य सरकार हर व्यक्ति को स्वस्थ और सुरक्षित जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने पीरामल फाउंडेशन को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह कार्यशाला ग्राम स्वराज की दिशा में एक सशक्त पहल है, जहाँ प्रत्येक गाँव आत्मनिर्भर और समावेशी विकास का प्रतीक बनेगा।
उन्होंने जोर दिया कि स्वास्थ्य, आजीविका और युवा विकास जैसे विषयों पर हर समाधान की शुरुआत पंचायतों से ही होनी चाहिए।


400 से अधिक मुखियाओं को मिला प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ

Aspirational Bharat Collaborative के CEO एवं Co-Founder मनमोहन सिंह ने जानकारी दी कि झारखंड के 400 से अधिक मुखिया इस कार्यशाला और क्षमता निर्माण गतिविधियों से लाभान्वित हुए हैं।
राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत टीमें पंचायतों और विभिन्न सरकारी विभागों के बीच अभिसरण (convergence) स्थापित करने का कार्य कर रही हैं, जिससे योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन अंतिम व्यक्ति तक सुनिश्चित हो रहा है।


पिरामल फाउंडेशन का नवाचार और समेकित प्रयास

पिरामल फाउंडेशन की इस कार्यशाला को केवल एक प्रशिक्षण सत्र के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि यह क्षेत्रीय अनुभवों को साझा करने, भविष्य की रणनीतियों को मजबूत बनाने और स्वास्थ्य नवाचार को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है।
इस पहल का उद्देश्य आत्मनिर्भर और समावेशी ग्राम विकास को राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुरूप आगे बढ़ाना है।


विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित कई संस्थाओं की सहभागिता

इस कार्यक्रम में वेक्टर बॉर्न डिजीज के राज्य स्तरीय सदस्यों के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीस और C-Phar जैसी सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की। इससे कार्यक्रम को वैश्विक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के साथ स्थानीय कार्यान्वयन में मजबूती मिली है।

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