उत्तर प्रदेशगोंडा

तपती धूप में सहनशीलता का पाठ पढ़ाती है ‘ज्येष्ठ मास’ की कविता: दीपांजली शर्मा की कलम से निकली संवेदनाओं की छांव

लेखक: दीपांजली शर्मा

तपते सूरज की किरणें,
धरती को आलिंगन दें,
ज्येष्ठ महीना आकर,
ताप का राग रचें।

नीम की छाँव निराली,
क्षणभर को राहत दे,
अमराइयों में झूले,
बचपन की यादें कहें।

सूने पड़े तालाब,
प्यासे पंछी पुकारें,
धरती की आँखों में,
बूँदों की आस उभारे।

गर्मी की इस ऋतु में,
सहनशीलता सिखाए,
ज्येष्ठ की धूप तपाकर,
मन को धैर्य दिलाए।

गगन में शीतल चाँद,
थोड़ी ठंडी साँस बने,
कभी-कभी चलती पुरवाई,
जीवन की मिठास बने।

आओ नमन करें इस मास को,
जिसमें तप भी मधुराई है,
ज्येष्ठ न केवल जला दे ,
बल्कि सहना भी सिखाई है।

लेखक: दीपांजली शर्मा बीसोखोर कटहरी बाज़ार, महराजगंज

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