गोंडा
प्रेरणा की ज्योति: दीपांजली शर्मा की कविता बनी हौंसले की मशाल


लेखक: दीपांजली शर्मा
प्रेरणा की ज्योति 🌟
गिरते देखे पाँव जब,
फिर जगती है आस,
मन के भीतर बोलता,
एक सच्चा विश्वास।।
दुख की छाया में जले,
आशा का यह दीप,
प्रेरणा की रौशनी,
कर दे मन समीप।।
संघर्षों की राह में,
जो न डोले मन,
उसके आगे झुक पड़े,
पर्वत और गगन।।
ठोकर को जो जान ले,
सीढ़ी का आकार,
हर गिरना उसका बने,
दृढ़ता का आधार।।
प्रेरणा का मूल है,
अपने भीतर ज्योत,
जग से पहले खोज ले,
मन का अमृत स्रोत।।
आलस जो भी त्याग दे,
थामे कर्म-पंथ,
उसकी हर एक चाल में,
भाग्य बढ़े अनंत।।
छाया चाहे घोर हो,
उजियारा है पास,
मन में यदि दीप जले,
मिटे सभी अंधियास।।
लेखक: दीपांजली शर्मा
बीसोखोर कटहरी बाज़ार महराजगंज