लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर पर देशद्रोह का आरोप: छात्रों ने बताया ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ की मेंबर, सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट वायरल
पाकिस्तान में वायरल हुई पोस्ट्स के बाद बदले सुर, प्रोफेसर माद्री ने खुद को बताया देशभक्त

लखनऊ : लखनऊ यूनिवर्सिटी की महिला प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी इन दिनों विवादों में घिर गई हैं। सोशल मीडिया पर उनके कुछ विवादित पोस्ट्स वायरल हो गए हैं, जिनमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के चीफ जस्टिस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। यही नहीं, उनकी कुछ पोस्ट्स पाकिस्तान में भी वायरल हो रही हैं, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया है।
छात्र बोले- टुकड़े-टुकड़े गैंग की मेंबर हैं मैडम
विश्वविद्यालय के छात्रों का आरोप है कि प्रोफेसर माद्री की विचारधारा ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ जैसी है। उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से मांग की है कि उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाए। छात्रों का कहना है कि यह शिक्षिका युवाओं के बीच विभाजनकारी विचारधारा फैला रही हैं।
सोशल मीडिया पर 8 विवादित पोस्ट सामने आईं
डॉ. माद्री काकोटी के कम से कम 8 ऐसे पोस्ट्स सामने आए हैं जो विवादों की जड़ बने हैं। इनमें उन्होंने:
- प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की तुलना “तानाशाही शासन” से की
- सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर निष्पक्षता को लेकर टिप्पणी की
- भारत की सुरक्षा नीतियों पर कटाक्ष किया
- एक पोस्ट में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान समर्थित विचार रखा गया
इन सभी पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिनमें से कुछ को पाकिस्तान आधारित सोशल मीडिया अकाउंट्स ने भी शेयर किया है।
अब खुद को बताया सच्चा देशभक्त
देशद्रोह के आरोप लगने के बाद प्रोफेसर माद्री काकोटी ने X (पूर्व ट्विटर) पर सफाई दी है। उन्होंने लिखा:
“मैं कल भी अपने देश के साथ खड़ी थी, आज भी हूं और मरते दम तक रहूंगी। मेरे शब्दों को गलत ढंग से पेश किया गया है। मैं सिर्फ लोकतंत्र में विश्वास रखते हुए सवाल पूछती हूं।”
उनके इस बयान के बाद भी विरोध कम नहीं हुआ है, बल्कि #ArrestMadriKakoti ट्रेंड करने लगा।
विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस की चुप्पी
लखनऊ यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से अभी तक इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। वहीं पुलिस सूत्रों के अनुसार, मामले की प्राथमिक जांच शुरू कर दी गई है। यदि तथ्य देशद्रोह की ओर इशारा करते हैं, तो FIR दर्ज की जा सकती है।
राजनीतिक रंग भी ले रहा मामला
इस मुद्दे पर भाजपा समर्थकों ने सख्त रुख अपनाया है, जबकि विपक्षी दलों से जुड़े कुछ छात्र संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया है। राजनीतिक विश्लेषक इसे चुनावी माहौल के मद्देनज़र संवेदनशील मुद्दा मान रहे हैं।