लखनऊ

अखिलेश यादव की तस्वीर के साथ बाबा साहेब का पोस्टर वायरल, FIR की तैयारी: लखनऊ कमिश्नर 5 मई तक सौंपेंगे जांच रिपोर्ट

अखिलेश यादव अंबेडकर पोस्टर, सपा पोस्टर विवाद, FIR अखिलेश फोटो, डॉ. अंबेडकर पोस्टर मामला

लखनऊ : में समाजवादी पार्टी की लोहिया वाहिनी विंग द्वारा लगाए गए एक विवादित पोस्टर ने नया सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इस पोस्टर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की आधी तस्वीर को काटकर उसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तस्वीर जोड़ दी गई है। इस छेड़छाड़ से जुड़ी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है, जिसे लेकर विभिन्न संगठनों और दलों ने तीव्र नाराज़गी जताई है।


🔥 क्या है मामला?

लोहिया वाहिनी द्वारा लगाए गए एक होर्डिंग पोस्टर में डॉ. अंबेडकर के शरीर के ऊपर के हिस्से को हटाकर वहां अखिलेश यादव का चेहरा लगा दिया गया है। इससे प्रतीत होता है कि अखिलेश यादव और अंबेडकर एक ही शरीर के दो हिस्से हैं। पोस्टर पर लिखा है—‘समान विचार, समान संघर्ष, अखिलेश-अंबेडकर एक सोच’


⚖️ FIR और जांच की स्थिति:

इस विवाद के बीच लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है। पुलिस कमिश्नर ने बयान जारी किया है कि,

“5 मई 2025 तक इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी। अगर पोस्टर में छेड़छाड़ और कानून उल्लंघन पाया गया, तो एफआईआर दर्ज की जाएगी।”


🗣️ सपा ने दी सफाई:

सपा के प्रदेश प्रवक्ता ने बयान दिया कि,

“यह पोस्टर पार्टी की ओर से अधिकृत नहीं था। यह लोहिया वाहिनी के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं की ओर से भावनात्मक श्रद्धांजलि देने के लिए लगाया गया था, जिसमें किसी की भावना को आहत करने का कोई उद्देश्य नहीं था।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी का डॉ. अंबेडकर के प्रति सम्मान अटूट है और अगर अनजाने में कोई गलती हुई है, तो संगठन आंतरिक कार्रवाई करेगा।


👥 विरोध और प्रतिक्रिया:

  • दलित संगठनों ने इसे डॉ. अंबेडकर का अपमान बताया।
  • बीजेपी और बसपा नेताओं ने इसे राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कहा।
  • सोशल मीडिया पर भी पोस्टर की तीखी आलोचना हो रही है और कई यूज़र्स ने इसे “संविधान और बाबा साहेब की गरिमा के खिलाफ” बताया है।

📌 क्या हो सकती है कार्रवाई?

विशेषज्ञों के अनुसार, IPC की धारा 295A (धार्मिक या राष्ट्रीय भावना को ठेस पहुँचाना), 505 (सार्वजनिक उपद्रव के लिए बयान) और IT एक्ट के तहत मामला बन सकता है।


📝 निष्कर्ष:

डॉ. अंबेडकर की तस्वीर में छेड़छाड़ कर किसी भी प्रकार की राजनीतिक प्रस्तुति करना संवेदनशील विषय है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल राजनीतिक गलतफहमियों को जन्म देती हैं, बल्कि समाज के बीच गंभीर वैचारिक टकराव भी ला सकती हैं। अब निगाहें 5 मई को आने वाली जांच रिपोर्ट और पुलिस की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button