लखनऊ

लखनऊ फैक्ट्री अग्निकांड: ‘मैं देखता रहा… पापा आग में घिरते गए’ — बेटे ऋतिक की आंखों के सामने जिंदा जले मालिक और मजदूर

दमकल की 4 घंटे की मशक्कत के बाद शव बरामद

लखनऊ, सरोजिनी नगर:
राजधानी लखनऊ के सरोजिनी नगर में शनिवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। स्वीटी फूड प्रोडक्ट्स नामक फैक्ट्री में लगी भीषण आग में फैक्ट्री मालिक अखिलेश कुमार (50) और मजदूर अबरार (45) की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब फैक्ट्री में वेल्डिंग का काम चल रहा था।

5 दिन पहले ही फिर से शुरू हुई थी फैक्ट्री
स्वीटी फूड फैक्ट्री पिछले डेढ़ साल से बंद थी। फैक्ट्री मालिक अखिलेश कुमार ने इसे पांच दिन पहले ही फिर से शुरू किया था। वह इसकी मरम्मत और संचालन दोबारा चालू करने की कोशिश कर रहे थे। शनिवार को फैक्ट्री में वेल्डिंग का कार्य चल रहा था, तभी चिंगारी से अचानक आग लग गई।

‘मैं देखता रहा… पापा आग में घिरते गए’
मालिक अखिलेश कुमार के बेटे ऋतिक ने बताया कि वह फैक्ट्री से उठते धुएं और आग की लपटों को देखकर दौड़े और शोर मचाया। “मैं पापा–पापा चिल्लाते हुए फैक्ट्री के पास गया, लेकिन वो कहीं नजर नहीं आए। कुछ ही मिनटों में पूरी फैक्ट्री लपटों से घिर गई,” ऋतिक ने कहा।

मदद करने के प्रयास में अबरार के साथ झुलसे मालिक
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मजदूर अबरार आग की चपेट में आया तो अखिलेश उसे बचाने फैक्ट्री में घुस गए। लेकिन दोनों ही अंदर फंस गए और बाहर नहीं निकल सके। दमकल विभाग की 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद दोनों के जले हुए शव बरामद किए गए।

फैक्ट्री में सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि फैक्ट्री में कोई दमकल सुरक्षा या आपातकालीन निकास की व्यवस्था नहीं थी। न तो आग बुझाने वाले यंत्र थे, और न ही कोई अलार्म सिस्टम। घटना ने सुरक्षा मानकों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

प्रशासन की जांच शुरू
पुलिस और दमकल विभाग ने आग के कारणों की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में वेल्डिंग की चिंगारी को कारण माना जा रहा है, लेकिन सभी संभावनाओं की जांच की जा रही है। लापरवाही या गैरकानूनी निर्माण पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं।

निष्कर्ष:
यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि हमारी सुरक्षा प्रणाली की एक बड़ी खामी का उदाहरण है। अगर समय रहते फायर सेफ्टी उपकरण होते, तो शायद ये दो जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। अब जरूरत है जागरूकता और कड़े नियमों की, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को टाला जा सके।

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