जम्मू-कश्मीर: के दाचीगाम वन क्षेत्र में भारतीय सेना ने एक सफल ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को मार गिराया है। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले का बदला मानी जा रही है, जिसमें 26 श्रद्धालुओं की निर्मम हत्या की गई थी। मारे गए आतंकियों में एक की पहचान हमले के मास्टरमाइंड सुलेमान उर्फ आसिफ के रूप में हुई है।
🔥 क्यों रखा गया नाम ‘ऑपरेशन महादेव’?
‘ऑपरेशन महादेव’ नाम श्रीनगर की महादेव चोटी से प्रेरित है, जो जबरवान रेंज का एक पवित्र और सामरिक दृष्टि से अहम क्षेत्र है। लिदवास और मुलनार, जहाँ यह मुठभेड़ हुई, महादेव चोटी से साफ दिखाई देते हैं। इस धार्मिक और भू-स्थानिक महत्व के कारण सेना ने इस ऑपरेशन को ‘महादेव’ नाम दिया।
🔍 आतंकियों तक कैसे पहुंची सेना?
सेना को पहलगाम हमले में इस्तेमाल की गई कम्युनिकेशन डिवाइस के सक्रिय होने का संकेत मिला था। इस डिवाइस की लोकेशन दाचीगाम के ऊपरी इलाके में ट्रेस हुई। इसके बाद 24 राष्ट्रीय राइफल्स (RR) और 4 पैरा स्पेशल फोर्सेज ने अभियान शुरू किया। आतंकियों की मूवमेंट की पुष्टि होने पर इलाके की घेराबंदी की गई और भीषण मुठभेड़ में तीनों दहशतगर्द मार गिराए गए।
💣 मारे गए आतंकी कौन थे?
हालांकि सेना ने अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन सैन्य सूत्रों के अनुसार:
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सुलेमान उर्फ आसिफ – पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड
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अबू हमजा उर्फ हारिस – लश्कर-ए-तैयबा का प्रशिक्षित सदस्य
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यासिर उर्फ जिबरान – सोनमर्ग सुरंग हमले में भी शामिल
इनके पास से M4 कार्बाइन, AK राइफल्स और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुआ है।
📍 मुठभेड़ की जगह और रणनीति
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स्थान: दाचीगाम वन क्षेत्र, श्रीनगर से 25 किमी दूर
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रणनीति: संदिग्ध डिवाइस सिग्नल ट्रेस कर की गई घेराबंदी
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परिणाम: भारी गोलीबारी के बीच 3 आतंकी मारे गए
सेना की चिनार कोर ने सोशल मीडिया पर पुष्टि की कि ऑपरेशन लिदवास क्षेत्र में चला और फिलहाल कुछ हिस्सों में तलाशी अभियान अब भी जारी है।
💬 शहीद के पिता का बयान
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने कहा,
“हमें पहले से भरोसा था कि हमारी सेना इन आतंकियों को जरूर मार गिराएगी। मैं सेना और सुरक्षाबलों के पराक्रम को सलाम करता हूं।”
🧭 ऑपरेशन से जुड़े तकनीकी संकेत
एनआईए द्वारा पहले पकड़े गए आतंकियों परवेज और बशीर अहमद की जानकारी के आधार पर सेना की नजर में तीन पाकिस्तानी आतंकियों की तलाश पहले से थी। जब दाचीगाम क्षेत्र में एक पुरानी कम्युनिकेशन डिवाइस दोबारा एक्टिव हुई, तब सुरक्षाबलों को उनकी लोकेशन का अंदेशा हुआ और ऑपरेशन को अंतिम रूप दिया गया।
🔚 निष्कर्ष
ऑपरेशन महादेव न सिर्फ पहलगाम हमले का करारा जवाब था, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारतीय सेना हर परिस्थिति में आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने को तैयार है। यह ऑपरेशन उन श्रद्धालुओं और वीर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है जिन्होंने आतंक के खिलाफ अपनी जान गंवाई।