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निसार मिशन की ऐतिहासिक लॉन्चिंग आज: पूरी पृथ्वी को करेगा स्कैन, भारत की अंतरिक्ष इंजीनियरिंग की ताकत दिखेगी दुनिया को

ISRO और NASA के संयुक्त मिशन NISAR की लॉन्चिंग आज शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा से GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए होगी। यह मिशन 12 दिन में पूरी पृथ्वी का हाई-रेजॉल्यूशन स्कैन करने में सक्षम है।

भारतीय: अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के संयुक्त निसार मिशन (NISAR: NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) को आज 30 जुलाई 2025 को शाम 5:40 बजे GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया जाएगा। लॉन्चिंग स्थल है सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, जो भारत की सबसे महत्वपूर्ण स्पेस फैसिलिटी है।


क्या है NISAR मिशन?

निसार दुनिया का पहला ऐसा रडार सैटेलाइट है, जो दो अलग-अलग बैंड – L-बैंड (NASA) और S-बैंड (ISRO) पर काम करता है। यह मिशन हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का एक हाई-रेजॉल्यूशन स्कैन कर सकेगा, जिससे पर्यावरणीय बदलावों, ग्लेशियर मूवमेंट, भूकंप, बाढ़, जंगलों में बदलाव और धरती की सतह की हलचल का बारीकी से अध्ययन किया जा सकेगा।


GSLV-F16 रॉकेट से होगी लॉन्चिंग

  • रॉकेट: GSLV-F16

  • लॉन्चिंग स्थान: श्रीहरिकोटा (दूसरा लॉन्च पैड)

  • समय: शाम 5:40 बजे

  • लंबाई: 51.7 मीटर

  • ऑर्बिट: सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट (743 किमी की ऊंचाई पर, 98.4° झुकाव)

  • उपग्रह स्थापित होने का समय: लॉन्च के 19 मिनट बाद


क्यों खास है यह मिशन?

  1. 🌍 पूरे विश्व का डेटा: उपग्रह पृथ्वी के हर कोने से डेटा इकट्ठा करेगा, चाहे वह अंटार्कटिका हो, हिमालय हो या सागर की गहराई।

  2. 🌲 वनस्पति पर नजर: जंगलों की कटाई-बढ़ोतरी और बदलाव पर नजर रखी जाएगी।

  3. ❄️ ग्लेशियर की निगरानी: बर्फ की परतों के खिसकने और पिघलने को ट्रैक किया जाएगा।

  4. 🌪️ आपदा प्रबंधन में मदद: भूकंप, बाढ़, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहचान और रिस्पॉन्स बेहतर होगा।

  5. 💧 जल और मिट्टी की स्थिति: सतही जल संसाधनों, मिट्टी की नमी और खेती से जुड़ी जानकारी भी मिलेगी।


कैसे काम करता है निसार?

निसार में लगे Synthetic Aperture Radar (SAR) से पृथ्वी की उच्च-रिजॉल्यूशन इमेजिंग की जा सकेगी। इसमें एक 12 मीटर का मेष रिफ्लेक्टर एंटीना भी है जो L-बैंड और S-बैंड दोनों सिग्नल को कैप्चर करता है। ये दोनों रडार 242 किमी चौड़ाई में सतह का निरीक्षण करेंगे।

ISRO का S-बैंड रडार अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेंटर में बनाया गया है और NASA का L-बैंड पेलोड अमेरिका के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) में विकसित हुआ है। दोनों को मिलाकर इस मिशन को धरती पर निगरानी रखने वाला सबसे आधुनिक सैटेलाइट बनाया गया है।


डाटा ओपन-सोर्स में उपलब्ध होगा

इस मिशन के जरिए एकत्रित अधिकांश डाटा ओपन-सोर्स रहेगा, ताकि वैज्ञानिक, रिसर्चर और सरकारें पूरे विश्व में इसका उपयोग कर सकें। ISRO इसका प्रोसेसिंग और स्टोरेज करेगा।


मिशन की लागत और महत्व

निसार प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 1.5 बिलियन डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपये) है और यह भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट माना जा रहा है।


निष्कर्ष

NISAR मिशन भारत और अमेरिका की साझा वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रतीक है। यह मिशन पृथ्वी विज्ञान, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण अध्ययन और जलवायु परिवर्तन की दिशा में क्रांतिकारी साबित हो सकता है। इसके डेटा से न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को लाभ होगा।

News Desk

Written by News Desk

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