वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को लेकर एक बार फिर तीखा बयान दिया है। उन्होंने भारत और रूस की अर्थव्यवस्था को “डेड इकोनॉमी” (मृत अर्थव्यवस्था) करार देते हुए कहा है कि अगर ये देश खुद को साथ ले डूबते हैं, तो इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। यह बयान ऐसे समय आया है जब ट्रम्प ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पास किया है, जो कल से लागू हो रहा है।
ट्रम्प ने अपने बयान में कहा,
“हमने बहुत देर तक दूसरों की परवाह की है। अब अमेरिका को सिर्फ अमेरिका की चिंता करनी है। भारत और रूस जैसी अर्थव्यवस्थाएं अगर खुद को ले डूबें तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।”
क्या है पूरा मामला?
ट्रम्प प्रशासन ने 20 जनवरी को पदभार संभालते ही भारत, रूस और कुछ अन्य देशों से आने वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया। ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका अपने घरेलू उद्योगों को प्रोटेक्ट करेगा और इस दिशा में यह पहला बड़ा कदम है।
उन्होंने भारत और रूस की अर्थव्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि दोनों देश “सुधार के नाम पर सिर्फ दिखावा” करते हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था पर सीधा हमला
यह पहला मौका नहीं है जब ट्रम्प ने भारत की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी की हो। इससे पहले भी वे भारत के ट्रेड पॉलिसीज और टैक्स स्ट्रक्चर को लेकर आलोचना कर चुके हैं। लेकिन इस बार उन्होंने भारत को सीधे तौर पर ‘डेड इकोनॉमी’ कहा, जो कि दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी ला सकता है।
राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया
ट्रम्प के इस बयान के बाद भारत में सियासी प्रतिक्रिया तेज हो गई है। विपक्षी नेताओं ने इसे मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता करार दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ट्रम्प ने वही कहा है जो भारत का आम नागरिक महसूस कर रहा है — कि देश की अर्थव्यवस्था संकट में है।
25% टैरिफ का असर क्या होगा?
विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका का यह टैरिफ भारत के कई एक्सपोर्ट सेक्टर, जैसे स्टील, टेक्सटाइल, केमिकल और फार्मा पर सीधा असर डालेगा। इससे भारत का एक्सपोर्ट कम हो सकता है और व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार
सरकार की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक भारत जल्द ही डब्ल्यूटीओ के समक्ष इस मुद्दे को उठा सकता है।
निष्कर्ष:
ट्रम्प के इस बयान ने भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव को और गहरा कर दिया है। जहां एक तरफ भारत वैश्विक मंचों पर खुद को मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर पेश कर रहा है, वहीं अमेरिका का यह रवैया भारत की छवि को चुनौती देता है।