वॉशिंगटन/नई दिल्ली | भारत और रूस के बीच तेल व्यापार को लेकर जारी अटकलों के बीच अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान सामने आया है। उन्होंने उन मीडिया रिपोर्ट्स का स्वागत किया है जिनमें दावा किया गया है कि भारत ने अब रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। हालांकि, ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें अभी इस सूचना की आधिकारिक पुष्टि नहीं है, लेकिन अगर यह सच है तो यह “एक अच्छा कदम” होगा।
❓ किस सवाल पर आया ट्रंप का बयान?
डोनाल्ड ट्रंप से जब एक पत्रकार ने यह सवाल किया कि क्या उन्होंने भारत पर जुर्माना लगाने की कोई संख्या तय की है और क्या वह पीएम नरेंद्र मोदी से बात करेंगे, तो ट्रंप ने जवाब देते हुए कहा:
“मुझे सुनने को मिला है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। यह सही है या नहीं, मुझे नहीं पता। लेकिन अगर यह सच है, तो यह एक अच्छा कदम है। हम देखेंगे क्या होता है।”
🗣️ भारत सरकार की स्थिति अभी साफ नहीं
इस बयान से एक दिन पहले भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा:
“सरकार को अभी तक किसी विशेष तेल कंपनी द्वारा रूस से तेल लेना बंद करने की जानकारी नहीं है। हम वैश्विक ऊर्जा बाजार और राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप ही निर्णय लेते हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत का रुख पहले जैसा ही है — “ऊर्जा जरूरतों के प्रति हमारा दृष्टिकोण व्यावसायिक और राष्ट्रीय हित आधारित है।”
🌍 रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में बयान
अमेरिका लंबे समय से उन देशों पर दबाव बना रहा है जो रूस से तेल खरीद जारी रखे हुए हैं, ताकि यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की आय पर लगाम लगाई जा सके। भारत भी इस सूची में शामिल रहा है।
हालांकि भारत ने अब तक सस्ते रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति से अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा की है। अब जब कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत की सरकारी रिफाइनरियों ने रूस से तेल लेना अस्थायी रूप से रोका है, तो अमेरिकी पक्ष ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।
🏭 भारत: तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक
-
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है।
-
2022 से भारत ने रूस से डिस्काउंट पर बड़ी मात्रा में तेल खरीदा।
-
मौजूदा बाधाएं: डिस्काउंट कम होने और शिपिंग में मुश्किलें।
इन कारणों से कई भारतीय रिफाइनरियों ने कथित तौर पर फिलहाल रूसी तेल की खरीद रोकी है, हालांकि कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
🧾 निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का बयान अमेरिका-भारत संबंधों की दिशा में एक और संकेत है कि वैश्विक ऊर्जा नीतियों और भू-राजनीति में रूस से तेल खरीद एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। भारत की स्थिति अब भी राष्ट्रहित आधारित है और जब तक भारत सरकार की ओर से कोई स्पष्ट घोषणा नहीं होती, तब तक यह मुद्दा पूरी तरह स्पष्ट नहीं माना जा सकता।