लखनऊ में बी फार्मा छात्र ने हॉस्टल में लगाई फांसी, कॉलेज की लापरवाही बताई जिम्मेदार

लखनऊ | उत्तर प्रदेश
राजधानी लखनऊ से एक दर्दनाक खबर सामने आई है, जहां बी फार्मा के एक छात्र ने कॉलेज की लापरवाही से तंग आकर हॉस्टल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। छात्र का नाम (संवेदनशीलता के चलते नहीं उजागर किया गया) बताया जा रहा है। मृतक छात्र ने सुसाइड नोट में लिखा है कि उसने फीस जमा की थी, लेकिन सिस्टम में पेंडिंग दिखने की वजह से उसे प्रैक्टिकल परीक्षा देने से रोक दिया गया।
📄 क्या लिखा था सुसाइड नोट में?
छात्र ने अपने सुसाइड नोट में लिखा:
“मैंने कॉलेज में फीस जमा की थी, लेकिन सिस्टम में पेंडिंग दिखा रही थी। कई बार सही करवाने का प्रयास किया, लेकिन कुछ नहीं हो पाया। मुझे प्रैक्टिकल एग्जाम देने से रोक दिया गया। मेरे दोस्त पता नहीं क्या-क्या सोचेंगे। सभी लोग मुझे माफ करना।”
इस नोट ने पूरे शिक्षण तंत्र और प्रशासनिक लापरवाही की परतें खोलकर रख दी हैं।
🏫 कॉलेज की लापरवाही बनी आत्महत्या की वजह
- छात्र का कहना था कि उसने फीस समय पर जमा कर दी थी, लेकिन कॉलेज प्रशासन की तकनीकी लापरवाही के कारण उसका नाम डिफॉल्टर लिस्ट में चला गया।
- उसने कई बार फीस अपडेट करवाने की कोशिश की, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने अनसुना कर दिया।
- प्रैक्टिकल न देने देने की सूचना मिलने के बाद छात्र मानसिक रूप से टूट गया।
🚨 पुलिस की जांच और कार्रवाई
- हॉस्टल के कमरे से छात्र का शव पंखे से लटका मिला।
- मौके से एक हाथ से लिखा हुआ सुसाइड नोट बरामद हुआ है।
- पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
- परिजनों को सूचना दे दी गई है और कॉलेज प्रबंधन से भी पूछताछ जारी है।
📢 कॉलेज प्रशासन पर सवाल
घटना के बाद छात्रों और स्थानीय लोगों में गुस्सा और शोक का माहौल है। कई छात्रों ने कॉलेज प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है और मांग की है कि दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
🧠 मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था
इस घटना ने एक बार फिर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या छात्रों की समस्याएं सही समय पर सुनी जा रही हैं?
- कॉलेज प्रशासन क्या छात्रों की मानसिक स्थिति को लेकर जिम्मेदार है?
- तकनीकी गड़बड़ियों का खामियाजा छात्रों की जान से क्यों चुकाना पड़ता है?
📌 निष्कर्ष:
यह घटना सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की एक कड़ी चेतावनी है। तकनीकी गड़बड़ी और प्रशासनिक लापरवाही की कीमत किसी युवा की जान से नहीं चुकाई जानी चाहिए।
“शिक्षा का उद्देश्य छात्र को उज्ज्वल भविष्य देना है, न कि उसे अंधकार की ओर धकेलना।”