ऑपरेशन सिंदूर: दुनिया को समझाएंगी 7 सांसदों की टीमें, UNSC में भारत का पक्ष रखेंगी
भारत ने पाकिस्तान पर कार्रवाई क्यों की? शशि थरूर, सुप्रिया सुले जैसे नेता सात अंतरराष्ट्रीय डेलिगेशन का नेतृत्व करेंगे।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए सात सांसदों की टीम गठित की है। इन टीमों में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं, जो दुनिया के विभिन्न देशों और संगठनों को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताएंगे।
7 टीमें, 7 ग्रुप लीडर्स
संसदीय कार्य मंत्रालय ने शनिवार को इन टीमों के नेताओं की सूची जारी की। हर टीम में पांच सांसद होंगे और एक सांसद टीम का नेतृत्व करेगा। इस सूची में शामिल प्रमुख नाम हैं:
- शशि थरूर (कांग्रेस) – वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व राजनयिक, जो कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों में अनुभव रखते हैं।
- सुप्रिया सुले (NCP) – जानी-मानी नेता और प्रभावी वक्ता, जो विश्व मंच पर भारत का पक्ष मजबूती से रख सकती हैं।
- DMK, JDU, BJP के प्रतिनिधि – विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद, जो भारत की बहुदलीय लोकतांत्रिक ताकत को प्रदर्शित करेंगे।
UNSC में पेश होगा भारत का पक्ष
इन सांसदों की टीमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाकर भारत का पक्ष रखेंगी। वे दुनिया को बताएंगी कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों जरूरी था और पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने यह कदम क्यों उठाया।
ऑपरेशन सिंदूर: क्या है मामला?
ऑपरेशन सिंदूर भारत का एक बड़ा सैन्य अभियान था, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की गई। भारत ने यह कदम आतंकवाद और सीमापार घुसपैठ के खिलाफ उठाया। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ सबूत पेश किए, जिससे साबित हुआ कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को समर्थन दे रहा है।
दुनिया को कैसे समझाएंगे भारतीय सांसद?
सांसदों की टीमें विभिन्न देशों के राजनयिकों, नेताओं और मीडिया संगठनों से मुलाकात करेंगी। वे ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि, भारत की सुरक्षा चिंताओं और पाकिस्तान की भूमिका को स्पष्ट करेंगे।
भारत का कूटनीतिक मास्टरस्ट्रोक
यह पहली बार है जब भारत ने किसी सैन्य कार्रवाई के बाद सांसदों की अंतरराष्ट्रीय टीमें बनाई हैं। इससे भारत की कूटनीति को नया आयाम मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की स्थिति स्पष्ट रूप से समझाई जा सकेगी।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय सांसदों की यह अंतरराष्ट्रीय पहल भारत की मजबूत कूटनीति का प्रमाण है। इससे न केवल दुनिया को भारत का पक्ष पता चलेगा, बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी बढ़ेगा।