
भारत और पाकिस्तान : के बीच लंबे समय से विवाद का विषय बने जल वितरण को लेकर पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने एक बार फिर आग में घी डालने का काम किया है। उन्होंने कहा:
“अगर तुम हमारा पानी बंद करोगे, तो हम तुम्हारी सांसें बंद कर देंगे।”
उनके इस बयान से कूटनीतिक और सामरिक हलकों में हलचल मच गई है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत की ओर से सिंधु जल संधि की समीक्षा की चर्चा जोरों पर है।
क्या है सिंधु जल संधि विवाद?
- साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) पर समझौता हुआ था।
- इसके तहत भारत को 3 पूर्वी नदियों (रावी, सतलुज, ब्यास) और पाकिस्तान को 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) के जल उपयोग का अधिकार मिला।
- हाल के वर्षों में भारत ने इस समझौते की शर्तों पर दोबारा विचार करने की बात कही है, खासकर जब पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं।
DG ISPR का यह बयान क्यों है खतरनाक?
DG ISPR (Director General of Inter Services Public Relations) पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग है। इसके प्रमुख का ऐसा सार्वजनिक बयान:
- सीधे-सीधे भारत की संप्रभुता पर हमला माना जा रहा है।
- बयान का लहजा युद्ध जैसा और भड़काऊ है।
- यह द्विपक्षीय संबंधों में और गिरावट ला सकता है।
भारत के किसी भी आधिकारिक प्रवक्ता ने अभी तक इस बयान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों ने इसे “गंभीर उकसावे की श्रेणी” में रखा है।
कूटनीतिक परिणाम और अंतरराष्ट्रीय नजरिया
भारत यदि सिंधु जल संधि को तोड़ने या संशोधित करने की दिशा में आगे बढ़ता है तो:
- यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के लिए पानी की कूटनीति को लेकर बड़ी चुनौती बन सकता है।
- वर्ल्ड बैंक और अन्य देशों का इस मामले में हस्तक्षेप हो सकता है।
- वहीं पाकिस्तान का ऐसा बड़बोलापन उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को और नुकसान पहुंचा सकता है।