सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान की गुहार: भारत को भेजे चार पत्र, बगलिहार-सलाल डैम के गेट बंद होने से चिनाब में पानी घटा

नई दिल्ली/इस्लामाबाद: भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सिंधु जल संधि एक बार फिर चर्चा में है। पाकिस्तान ने भारत को लगातार चार पत्र भेजे हैं, जिनमें चिनाब नदी में घटते जलस्तर पर चिंता जताई गई है। इनमें से एक पत्र भारत द्वारा हाल ही में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भेजा गया है, जिससे राजनीतिक हलकों में भी हलचल है।
क्यों आई जल संकट की नौबत?
भारत ने एक महीने पहले बगलिहार और सलाल डैम के गेट बंद कर दिए, जिससे पाकिस्तान में चिनाब नदी का जलस्तर काफी नीचे चला गया। पाकिस्तान का कहना है कि इससे उनके खेतों में सिंचाई बाधित हो रही है और जल आपूर्ति संकट उत्पन्न हो गया है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद और बढ़ा तनाव
NDTV के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान ने एक पत्र भारतीय सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ठीक बाद भेजा है। इसमें जल आपूर्ति को हथियार के तौर पर इस्तेमाल न करने की अपील की गई है। इस कदम को पाकिस्तान ने ‘संधि के उल्लंघन’ की तरह देखा है।
भारत का रुख
भारत की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हालांकि, विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत सिंधु जल संधि के सभी प्रावधानों का पालन कर रहा है। जल का प्रवाह तकनीकी कारणों और परियोजनाओं के रख-रखाव के चलते रोका गया था।
सिंधु जल संधि: एक ऐतिहासिक समझौता
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षर हुए थे। इसके तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, व्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) का जल उपयोग करने की अनुमति मिली थी।
विशेषज्ञों की राय
- जलविज्ञानी प्रो. अरुण तोमर कहते हैं, “अगर भारत तकनीकी रूप से अपने हिस्से का पानी रोकता है, तो यह संधि के दायरे में आता है। लेकिन यदि इसे राजनीतिक दबाव के लिए किया गया है, तो यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर विवाद का विषय बन सकता है।”
- रणनीतिक मामलों के जानकार ब्रिगेडियर (रि.) कपूर का मानना है, “ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की चिंताएं राजनीतिक अधिक हैं, न कि केवल पर्यावरणीय।”
आगे क्या?
अभी तक पाकिस्तान को भारत की ओर से औपचारिक उत्तर नहीं मिला है। पाकिस्तान ने प्रस्ताव दिया है कि जल विवाद पर एक नई द्विपक्षीय बैठक जल्द से जल्द बुलाई जाए।
हालांकि, मौजूदा राजनीतिक और सैन्य तनाव को देखते हुए जल कूटनीति में प्रगति की संभावना फिलहाल कम नजर आ रही है।
निष्कर्ष
पानी अब सिर्फ संसाधन नहीं, बल्कि रणनीतिक हथियार बनता जा रहा है। भारत-पाकिस्तान जैसे संवेदनशील पड़ोसियों के बीच सिंधु जल संधि जैसे समझौते क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद अहम हैं।
इन हालातों में आने वाले सप्ताहों में दोनों देशों की प्रतिक्रिया और कूटनीति पर दुनियाभर की निगाहें रहेंगी।