91वें जन्मदिवस पर जाल सभागृह में हुआ दो दिवसीय आयोजन, कथाकथन, नाट्य प्रस्तुति और ‘स्मृति कल्प’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण

इंदौर। देश की सुप्रसिद्ध कथाकार और पद्मश्री सम्मानित मालती जोशी को उनके 91वें जन्मदिवस पर याद करने के लिए इंदौर के जाल सभागृह में दो दिवसीय साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ‘स्मृति कल्प’ नामक इस आयोजन में साहित्य, कला और रंगमंच से जुड़ी कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया और मालती जी के योगदान को आत्मीयता से याद किया।
साहित्य और संस्कृति की समर्पित संध्या
इस आयोजन की रूपरेखा मालती जी के छोटे सुपुत्र डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने तैयार की, जो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव हैं। उन्होंने परिवार, साहित्यकारों, रंगकर्मियों और इंदौरवासियों के सहयोग से इस कार्यक्रम को आकार दिया।
4 जून को आयोजित इस कार्यक्रम का दिन और स्थान भी विशेष रूप से चुना गया था, क्योंकि यह मालती जी का जन्मदिन था और इंदौर शहर से उनका गहरा जुड़ाव रहा है।

विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस दो दिवसीय आयोजन में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वरिष्ठ पत्रकार व कवि प्रो. सरोज कुमार, कथाकार सूर्यकांत नागर, आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, साहित्यकार ज्योति जैन, और पत्रकार निर्मला भुराड़िया जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की शुरुआत मालती जी के बड़े पुत्र ऋषिकेश जोशी के स्वागत वक्तव्य से हुई, जिसमें उन्होंने मालती स्मृति ट्रस्ट की स्थापना की घोषणा की।
स्मृतियों में बसी मालती
मालती जी के अनुज श्री चंद्रशेखर दिघे ने उनके साथ बिताए संस्मरणों को साझा कर वातावरण को भावुक कर दिया। इस दौरान ‘स्मृति कल्प’ नामक पुस्तक का भी लोकार्पण हुआ, जो मालती जी की स्मृतियों पर आधारित है।
कथाकथन और नाट्य मंचन: एक अनूठा अनुभव
प्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री अनीता सक्सेना, अनीता सिंह और संजय पटेल ने मालती जी की कहानियों का कथाकथन कर उनके शब्दों को जीवंत किया।
ख्यात रंगकर्मी श्रीराम जोग के निर्देशन में नाट्य भारती, इंदौर के कलाकारों ने मालती जी की दो कथाओं का मंचन कर दर्शकों को भावनाओं से सराबोर कर दिया।

दूसरे दिन की विशेष प्रस्तुतियां
दूसरे दिन का स्वागत भाषण और मुख्य वक्तव्य डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने दिया। उन्होंने अपनी माता के साथ बिताए व्यक्तिगत, अनसुने क्षणों को साझा किया।
साहित्यकार संतोष मोहंती, अर्चना मंडलोई और मिलिंद देशपांडे ने कथाकथन द्वारा आयोजन को आगे बढ़ाया।
फिल्म कालाकांकर के निर्देशक विवेक सावरीकर के निर्देशन में रंग मोहिनी, भोपाल के कलाकारों ने दो अन्य कथाओं का मंचन किया।
विशेष रूप से अभिनेता ज्योति सावरीकर ने अपने अभिनय से मालती जोशी को मंच पर सजीव कर दिया।
पाठकों का प्रेम, परिवार की सहभागिता
दोनों दिन जाल सभागृह दर्शकों से खचाखच भरा रहा। यह मालती जोशी के लेखन और व्यक्तित्व के प्रति लोगों के प्रेम और आदर का प्रमाण था।
धन्यवाद ज्ञापन मालती जी की दोनों बहुओं – मालविका और अर्चना जोशी – ने किया।
कार्यक्रम का संचालन शांतनु जोशी ने किया, जबकि तन्वी जोशी ने मालती जी की कविताओं का मधुर गायन किया।
दुष्यंत जोशी द्वारा मालती जी के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें उनके सादगीभरे जीवन की झलक प्रस्तुत की गई।
निष्कर्ष
‘स्मृति कल्प’ केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि मालती जोशी के साहित्यिक योगदान और मानवीय मूल्यों की विरासत को संजोने और आगे ले जाने का भावपूर्ण प्रयास था। यह आयोजन उनकी स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने का एक प्रभावशाली और आत्मीय प्रयास सिद्ध हुआ।