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नाटो समिट में बोले ट्रम्प: ईरान ने बहादुरी से लड़ी जंग, अब तेल बेचने से नहीं रोकूंगा

डोनाल्ड ट्रम्प: ने बुधवार को नीदरलैंड्स में चल रही नाटो समिट के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा कि ईरान ने हालिया युद्ध में बहादुरी से लड़ाई लड़ी है और अब वह देश पुनर्निर्माण और आर्थिक स्थिरता के दौर में है

ट्रम्प ने कहा, “ईरान ऑयल का कारोबार करता है और मैं चाहूं तो इसे तुरंत रोक सकता हूं। लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा। उन्हें नुकसान से उबरने की जरूरत है। उन्हें अब आगे बढ़ने देना चाहिए।”


ईरान की आर्थिक बहाली की वकालत

ट्रम्प का यह बयान ऐसे समय आया है जब मध्य-पूर्व में अमेरिका और ईरान के बीच लंबे समय से तनाव बना हुआ है। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन के कार्यकाल में ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए थे, अब उनके सुर नरम नजर आ रहे हैं।

ट्रम्प ने कहा, “ईरान के लोग मजबूत हैं। उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया है। मेरा मानना है कि अब समय है उन्हें खुद को फिर से खड़ा करने का।”


तेल व्यापार पर नरमी का संकेत

डोनाल्ड ट्रम्प ने इशारा दिया कि अगर वह फिर से सत्ता में आते हैं, तो ईरान के ऑयल एक्सपोर्ट पर कोई नई रोक नहीं लगाएंगे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक स्थिरता बनाए रखने के लिए कुछ निर्णय “अहंकार से नहीं, रणनीति से लिए जाने चाहिए।”


नाटो समिट: प्रमुख घोषणाएं और रुख

नीदरलैंड्स में हो रही नाटो समिट में सुरक्षा, ऊर्जा, वैश्विक कूटनीति और युद्ध के बाद पुनर्निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा हो रही है। ट्रम्प ने अपने संबोधन में कहा कि “अब समय है कि पश्चिमी देश सैन्य और आर्थिक शक्ति के संतुलन के साथ आगे बढ़ें।”


इजरायल की प्रतिक्रिया

तेल अवीव से मिली प्रतिक्रिया के अनुसार, इजरायली अधिकारियों ने ट्रम्प के बयान पर प्रतिक्रिया देने से फिलहाल इनकार कर दिया है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, ईरान को दी जा रही किसी भी तरह की छूट से इजरायल असहज हो सकता है।


विश्लेषण: बदलता वैश्विक दृष्टिकोण?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प के इस बयान के पीछे अर्थव्यवस्था और ऊर्जा स्थिरता की बड़ी रणनीति है। अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो उनके मध्य-पूर्व नीति में लचीलापन देखने को मिल सकता है।


निष्कर्ष:

डोनाल्ड ट्रम्प के इस बयान से एक बात स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में बदलाव की हवा बह रही है। ईरान को लेकर नरमी, वैश्विक तेल व्यापार को लेकर संवेदनशीलता और युद्ध के बाद पुनर्निर्माण की जरूरत— ये सभी संकेत आने वाले वर्षों में विश्व मंच पर बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

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