
एससीओ सम्मेलन में भारत का बड़ा संदेश: आतंकवाद के खिलाफ क्षेत्रीय एकता पर ज़ोर
चीन: के किंगदाओ शहर में आज से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन की शुरुआत हो रही है। इसमें हिस्सा लेने के लिए भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहले ही चीन पहुंच चुके हैं। यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी में भारत-चीन सैन्य टकराव के बाद किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है।
आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति की मांग करेंगे रक्षामंत्री
राजनाथ सिंह इस दो दिवसीय सम्मेलन में आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए साझा और सतत प्रयासों की बात करेंगे।
- हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक की पृष्ठभूमि में यह संदेश और अहम हो जाता है।
- रक्षामंत्री भारत की ओर से एससीओ चार्टर के सिद्धांतों के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को दोहराएंगे।
शांति और सहयोग का संदेश
राजनाथ सिंह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा:
“मैं वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने तथा आतंकवाद को समाप्त करने के लिए संयुक्त और सतत प्रयासों का आह्वान करने के लिए उत्सुक हूं।”
द्विपक्षीय बैठकों की संभावना
सम्मेलन के इतर रक्षामंत्री की चीन और रूस के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी हो सकती हैं।
- इन बैठकों में सीमा तनाव, रक्षा सहयोग, और व्यापारिक एवं रणनीतिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
NSA अजित डोभाल भी होंगे शामिल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी एससीओ के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन जा रहे हैं। यह यात्रा भारत की रणनीतिक भागीदारी और राजनयिक संतुलन का हिस्सा मानी जा रही है।
SCO की भूमिका और भारत का दृष्टिकोण
भारत एससीओ को क्षेत्रीय बहुपक्षीय सहयोग के लिए एक मजबूत मंच मानता है।
- राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए भारत का विशेष ज़ोर रहेगा।
- भारत की नीति स्पष्ट है — आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं और शांति के लिए सक्रिय सहयोग।
🔍 निष्कर्ष:
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की यह यात्रा सिर्फ एक सम्मेलन नहीं बल्कि भारत की रणनीतिक सोच का विस्तार है।
- यह यात्रा भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत की संभावना भी लेकर आई है, और साथ ही एससीओ को प्रभावशाली क्षेत्रीय शक्ति समूह के रूप में मजबूत करने की दिशा में भारत की भूमिका को दर्शाती है।