कड़ी सुरक्षा के बीच आज से रथ यात्रा; बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ तैयार

पुरी (ओडिशा)। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा 2025 की शुरुआत आज पुरी से हो गई। 12 दिनों तक चलने वाली यह विश्व प्रसिद्ध यात्रा गुंडिचा मंदिर तक जाएगी और 8 जुलाई को नीलाद्रि विजय के साथ संपन्न होगी। परंपरा के अनुसार, भगवान अपने भाई-बहन के साथ साल में एक बार अपनी मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) की यात्रा पर जाते हैं।
🚩 भक्तों के लिए हुए ‘नबजौबन दर्शन’
रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धालुओं ने सिंह द्वार पर पहुंचकर भगवान के नबजौबन दर्शन किए। इस दिन को ‘नेत्र उत्सव’ भी कहा जाता है, जब मूर्तियों की आंखों को रंगा जाता है और भगवान विशेष युवा पोशाक में प्रकट होते हैं। 11 जून को स्नान अनुष्ठान के बाद से भगवानों के दर्शन बंद कर दिए गए थे।
🛡️ सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम
ADG ट्रैफिक दयाल गंगवार ने बताया कि इस बार एक AI आधारित CCTV निगरानी प्रणाली और ड्रोन मॉनिटरिंग के साथ एकीकृत कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। ट्रैफिक, भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था के लिए सभी विभागों के साथ समन्वय किया गया है। सिविल पुलिस, डॉग स्क्वाड और स्वयंसेवकों की टीम रथ मार्ग पर तैनात है।
🗓️ जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 का विस्तृत कार्यक्रम
- 27 जून (शुक्रवार) – रथ यात्रा प्रारंभ:
भगवान तीन अलग-अलग रथों – तालध्वज (बलभद्र), देवदलन (सुभद्रा), नंदीघोष (जगन्नाथ) – पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर यात्रा करेंगे।
पुरी के राजा छेरा पन्हारा की रस्म निभाएंगे – सोने के झाड़ू से रथ की सफाई। - 1 जुलाई (मंगलवार) – हेरा पंचमी:
गुंडिचा मंदिर में 5 दिन रुकने के बाद देवी लक्ष्मी नाराज होकर मिलने आती हैं। - 4 जुलाई (शुक्रवार) – संध्या दर्शन:
विशेष दर्शन का आयोजन, जहां भगवानों के दर्शन को शुभ माना जाता है। - 5 जुलाई (शनिवार) – बहुदा यात्रा:
भगवान तीनों रथों में वापस जगन्नाथ मंदिर की ओर लौटते हैं।
मौसी मां मंदिर पर रुककर ‘पोडा पिठा’ (मिठाई) का भोग अर्पित किया जाता है। - 6 जुलाई (रविवार) – सुना बेशा:
भगवानों को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है। यह भव्य दृश्य हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। - 7 जुलाई (सोमवार) – अधरा पना:
भगवानों को मीठा पेय अर्पित किया जाता है, जो मिट्टी के घड़ों में तैयार होता है। - 8 जुलाई (मंगलवार) – नीलाद्रि विजय (समापन):
भगवान तीनों वापस मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते हैं। इसे नीलाचल की विजय का प्रतीक माना जाता है।
🙏 मुख्यमंत्री और राज्यपाल का संदेश
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति ने रथ यात्रा की शुभकामनाएं देते हुए श्रद्धालुओं से शांतिपूर्ण और श्रद्धामय तरीके से यात्रा में भाग लेने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा, “भक्ति, संस्कृति और परंपरा का यह संगम हर भारतीय के लिए गौरव की बात है।”
📸 दर्शन और श्रद्धा की अनंत धारा
इस रथ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं, जबकि करोड़ों लोग इसे डीडी नेशनल, यूट्यूब लाइव और सोशल मीडिया पर देखते हैं। यात्रा को देखने देश-विदेश से पर्यटक भी आते हैं, जिससे स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी गति मिलती है।
🧾 निष्कर्ष:
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की आस्था, संस्कृति और आत्मा का उत्सव है। रथ यात्रा 2025 को लेकर जो उत्साह और श्रद्धा देशभर में देखी जा रही है, वह भारत की सनातन परंपरा की जीवंतता का प्रमाण है।