पुरी में उमड़ा आस्था का सैलाब: भगवान जगन्नाथ आज मौसी के घर होंगे विराजमान, रथ यात्रा का दूसरा दिन

पुरी: में हर साल होने वाली भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा का आज दूसरा दिन है और आस्था अपने चरम पर है। लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु पुरी पहुंचे हैं और रथ खींचने की इस पुण्य परंपरा में भाग लेने के लिए मंदिर परिसर से लेकर गुंडिचा मंदिर तक श्रद्धा की लहर दौड़ रही है। आज भगवान जगन्नाथ को “मौसी के घर” यानी गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाएगा, जहां वे आगामी 9 दिनों तक विश्राम करेंगे।
रथ यात्रा की शुरुआत: एक दिव्य परंपरा
रथ यात्रा की शुरुआत 26 जून को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को भव्य रथों पर विराजमान करने के बाद हुई।
तीनों रथ –
नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ के लिए)
तालध्वज (बलभद्र के लिए)
दर्पदलन (सुभद्रा के लिए)
पुरी के मुख्य मंदिर से रवाना होकर गुंडिचा मंदिर की ओर बढ़े।
इस यात्रा के पहले दिन ही रथ खींचने के दौरान भक्ति, उल्लास और अनुशासन का अद्भुत संगम देखने को मिला।
मौसी के घर पहुंचेंगे भगवान जगन्नाथ
आज यात्रा का दूसरा दिन है, और रथ खींचते हुए भक्त भगवान को उनके मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर तक लेकर जा रहे हैं। मान्यता है कि भगवान यहां नौ दिन विश्राम करते हैं और फिर 10वें दिन “बहुदा यात्रा” के माध्यम से वापसी करते हैं।
पुरी में श्रद्धा का महासागर, देश-विदेश से पहुंचे भक्त
पुरी की सड़कों पर केवल श्रद्धालु ही नजर आ रहे हैं।
कई श्रद्धालु सिर पर भोग लेकर चल रहे हैं।
कुछ भजन-कीर्तन गा रहे हैं तो कुछ भाव-विभोर होकर दर्शन कर रहे हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों से ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूके, नेपाल, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी जगन्नाथ भक्त पुरी पहुंचे हैं।
12 दिन चलने वाली रथ यात्रा का कार्यक्रम:
- पहला दिन (26 जून): रथ यात्रा प्रारंभ
- दूसरा दिन (27 जून): गुंडिचा मंदिर पहुंचना
- अगले 9 दिन: भगवान का विश्राम, सेवा, भोग
- 10वां दिन: बहुदा यात्रा (वापसी)
- 11वां दिन: सुनाबेसा (स्वर्णाभूषण दर्शन)
- 12वां दिन: नीलाद्री विजय (मंदिर में वापसी)
प्रशासन की बड़ी तैयारी: सुरक्षा और सुविधा का पुख्ता इंतजाम
- 10000+ पुलिसकर्मी तैनात
- ड्रोन और सीसीटीवी से निगरानी
- मेडिकल कैंप, पानी की व्यवस्था
- ट्रैफिक मैनेजमेंट टीम
- महिला सुरक्षा हेतु विशेष बल
पुरी प्रशासन और ओडिशा सरकार ने इस आयोजन को शांतिपूर्वक और सुरक्षित तरीके से संपन्न कराने के लिए चौकस इंतजाम किए हैं।
निष्कर्ष:
पुरी की रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, समर्पण और श्रद्धा का सबसे विशाल जनोत्सव है।
भगवान जगन्नाथ का मौसी के घर जाना, एक भावनात्मक जुड़ाव और भक्तों की आध्यात्मिक तृप्ति का प्रतीक बन गया है।
यह पर्व हर बार की तरह इस बार भी सद्भाव, भक्ति और एकता का संदेश लेकर आया है।