BJP: मानसून सत्र से पहले भाजपा को मिलेगा नया अध्यक्ष; 12 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की भी जल्द होगी नियुक्ति

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जल्द ही नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने जा रहा है। संसद के मानसून सत्र से पहले, जो 21 जुलाई से शुरू हो रहा है, पार्टी नेतृत्व बदलने की तैयारी में है। साथ ही पार्टी संगठन में व्यापक फेरबदल की योजना बनाई गई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, जुलाई के पहले सप्ताह में ही उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक समेत 12 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव: एक साल से जारी इंतजार का अंत
पिछले लगभग एक साल से भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर अटकलें जारी थीं। पार्टी ने अब तय कर लिया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव मानसून सत्र से पहले कर लिया जाएगा, ताकि संगठनात्मक स्थिरता और 2029 की रणनीति पर समय रहते काम शुरू हो सके।
कौन बनेगा नया अध्यक्ष? दलित या दक्षिण से उम्मीदवार की चर्चा
भाजपा सूत्रों के अनुसार, नया राष्ट्रीय अध्यक्ष दलित समुदाय से या दक्षिण भारत से हो सकता है। इसकी वजहें राजनीतिक और सामाजिक दोनों हैं:
- विपक्ष द्वारा आरक्षण और संविधान को खत्म करने की छवि बनाना
- दक्षिण भारत में संगठन को मजबूत करने की रणनीति
- सामाजिक समीकरणों के तहत दलित और पिछड़े वर्गों को प्रतिनिधित्व देना
- युवा और महिला नेतृत्व को बढ़ावा देना
प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति: 12 राज्यों में बदलाव की तैयारी
राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी डॉ. के लक्ष्मण ने तीन राज्यों के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं:
- उत्तराखंड: केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा
- महाराष्ट्र: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू
- पश्चिम बंगाल: सांसद रविशंकर प्रसाद
BJP के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 19 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव अनिवार्य होता है, जिनमें से अभी तक केवल 14 में ही चुनाव हो पाया है।
सबसे अहम चुनौती: उत्तर प्रदेश का नेतृत्व
लोकसभा चुनाव 2024 में अपेक्षित प्रदर्शन न मिलने से भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश चिंता का विषय बना हुआ है। यहां:
- ओबीसी वोट बैंक का टूटना
- बसपा का कमजोर होना और वोट ट्रांसफर का डर
- सपा-कांग्रेस गठबंधन से बढ़ती चुनौती
इन बिंदुओं को देखते हुए, पार्टी नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ व्यापक सामाजिक और सियासी रोडमैप तैयार करने की योजना बना रही है।
संगठन में 70% बदलाव, संसदीय बोर्ड में भी फेरबदल संभव
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के बाद भाजपा नेतृत्व राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम में 60-70% तक नए चेहरे शामिल करने जा रही है।
इसका उद्देश्य:
- युवा, महिलाएं, पिछड़े और दलित वर्गों को अधिक प्रतिनिधित्व देना
- संगठन को तेज, उत्तरदायी और भविष्य-केंद्रित बनाना
यह बदलाव सिर्फ संगठन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति जैसे निर्णयकारी निकायों में भी बदलाव की संभावना है।
✅ निष्कर्ष:
भाजपा के संगठन में आगामी परिवर्तन पार्टी के भविष्य की दिशा तय करने वाले होंगे।
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों ने स्पष्ट संकेत दिया है कि सामाजिक संतुलन, युवा नेतृत्व और क्षेत्रीय मजबूती अब पार्टी के लिए प्राथमिकता बन गए हैं।
अब देखना यह है कि नया राष्ट्रीय अध्यक्ष किस पृष्ठभूमि से आता है और वह भाजपा को 2029 के महासंग्राम के लिए कैसे तैयार करता है।