राष्ट्रपति की सीख: “बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना के साथ करें कार्य”
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु ने दिया पशु कल्याण का संदेश

बरेली: भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि “पशु और मानव का रिश्ता केवल उपयोगिता का नहीं, बल्कि परिवार जैसा है।” उन्होंने भावुक अंदाज़ में अपनी जड़ों का ज़िक्र करते हुए बताया कि वह जिस परिवेश से आती हैं, वह प्रकृति और पशुओं के बेहद निकट है।
हमारी संस्कृति में जीव-जंतुओं में ईश्वर का वास: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी संस्कृति सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को स्वीकार करती है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि पशु चिकित्सा एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना निहित है। यह केवल एक पेशा नहीं बल्कि बेजुबान जीवों की सेवा का माध्यम है।
बेटियों की बढ़ती भागीदारी बनी शुभ संकेत
दीक्षांत समारोह में उपाधि व पदक वितरण के दौरान राष्ट्रपति ने खुशी जताई कि पशु चिकित्सा के क्षेत्र में बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “आज बेटियां इस क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह हमारे समाज की सकारात्मक दिशा का प्रतीक है।”
135 वर्षों की उपलब्धियों वाला संस्थान
1889 में स्थापित IVRI ने अपनी 135 वर्षों की यात्रा में कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। राष्ट्रपति ने विशेष रूप से इस संस्थान के पेटेंट्स, डिजाइन, और कॉपीराइट्स की सराहना की। उन्होंने कहा कि पशु रोगों की रोकथाम के लिए इस संस्थान में तैयार किए गए टीकों ने देश के ‘राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ में बड़ी भूमिका निभाई है।
पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी है जैव विविधता का संरक्षण
राष्ट्रपति ने पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली कुछ रसायनों की वजह से गिद्धों जैसी प्रजातियों के विलुप्त होने पर चिंता जताई। उन्होंने वैज्ञानिकों द्वारा हानिकारक दवाओं पर लगाए गए प्रतिबंध को सराहनीय कदम बताया और संस्थान से जैव विविधता के संरक्षण में आदर्श बनने की अपेक्षा जताई।
टेक्नोलॉजी से आएंगे क्रांतिकारी बदलाव
राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक तकनीकों जैसे जीनोम एडिटिंग, एम्ब्रियो ट्रांसफर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स के उपयोग से पशु चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि IVRI जैसे संस्थानों को पशुओं के लिए स्वदेशी और सस्ते इलाज के विकल्प विकसित करने चाहिए।
“वन हेल्थ अवधारणा” को अपनाने पर जोर
राष्ट्रपति ने ‘वन हेल्थ’ अवधारणा का समर्थन करते हुए कहा कि मानव, जानवर, वनस्पति और पर्यावरण एक-दूसरे पर आश्रित हैं। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा संस्थानों को इस समग्र सोच के साथ अनुसंधान और सेवा कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए।
पशु आरोग्य मेलों के आयोजन से होगा समग्र कल्याण
राष्ट्रपति ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए कहा कि उपभोग आधारित संस्कृति से पर्यावरण और जीव-जंतुओं को भारी नुकसान हो सकता है। उन्होंने गांव-गांव में पशु आरोग्य मेलों के आयोजन पर जोर दिया जिससे समाज में पशु कल्याण और जनस्वास्थ्य दोनों को मजबूती मिलेगी।
पशु संपदा का संरक्षण — एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी
राष्ट्रपति ने चिंता जताई कि गांवों में अब घरेलू पशु कम दिखाई देते हैं, जबकि वे खेती और पर्यावरण दोनों के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि केंचुओं जैसी प्राकृतिक संसाधनों की कमी से ज़मीन बंजर हो रही है। ऐसे में वैज्ञानिकों, किसानों और आमजन को मिलकर समाधान ढूंढना चाहिए।
पशु विज्ञान इनक्यूबेटर से स्टार्टअप्स को मिलेगा बढ़ावा
समारोह में राष्ट्रपति ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि IVRI में पशु विज्ञान से जुड़े स्टार्टअप्स के लिए इनक्यूबेटर सुविधा शुरू की गई है। इसके माध्यम से छात्र उद्यमिता की ओर अग्रसर होकर रोजगार सृजन और आर्थिक योगदान दे सकते हैं।
मंच पर मौजूद रहीं कई प्रमुख हस्तियां
इस समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।