टीबी उन्मूलन के लिए डॉक्टर बनेंगे साथी: पुडुचेरी का फैमिली अडॉप्शन मॉडल अपनाएगा पूरा देश
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग का बड़ा फैसला, हर MBBS छात्र को तीन से पांच परिवार गोद लेकर टीबी मरीजों की पहचान और उपचार में निभानी होगी भूमिका।

देश: में तपेदिक (टीबी) उन्मूलन के प्रयासों को नई दिशा देते हुए पुडुचेरी का फैमिली अडॉप्शन मॉडल अब राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा। इस मॉडल के अंतर्गत MBBS के छात्रों को तीन से पांच परिवारों को गोद लेना होता है, जिनके साथ वे तीन वर्षों तक संपर्क बनाए रखते हैं। इस दौरान छात्र उन परिवारों में टीबी की जांच कराते हैं, और जरूरत पड़ने पर इलाज में मदद करते हैं।
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने इसे मेडिकल शिक्षा का हिस्सा बना दिया है। उद्देश्य है छात्रों को किताबों की पढ़ाई के साथ-साथ वास्तविक सामाजिक स्वास्थ्य चुनौतियों से भी जोड़ना।
पुडुचेरी की सफलता:
पुडुचेरी में इस मॉडल के चलते 2015 की तुलना में 2024 तक नए टीबी मामलों में 59% की गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2024 में यहां 3,366 लोग टीबी संक्रमित पाए गए। हालांकि, यहां के अस्पतालों में बाहरी राज्यों से आने वाले मरीजों के कारण टीबी मृत्यु दर लगभग 10% रही है।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. कविता वासुदेवन के अनुसार, “यह प्रोग्राम छात्रों को व्यावहारिक अनुभव देने के साथ समुदाय को भी स्वास्थ्य लाभ दे रहा है। हर साल 2,000 से अधिक छात्र करीब 10,000 परिवारों के संपर्क में रहते हैं और कई बीमारियों पर निगरानी रखते हैं।”
अब राष्ट्रीय विस्तार:
NMC ने इसे देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में लागू करने का निर्णय लिया है। इससे न सिर्फ टीबी की समय रहते पहचान और इलाज हो सकेगा, बल्कि मेडिकल छात्रों को भी अपने पेशे के सामाजिक पक्ष से जोड़ने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष:
पुडुचेरी मॉडल न केवल टीबी के खिलाफ लड़ाई को नई गति देगा, बल्कि भविष्य के डॉक्टरों को एक सशक्त समाज निर्माता के रूप में भी तैयार करेगा। अगर यह पहल देशभर में सही तरीके से लागू होती है, तो भारत का TB मुक्त होने का सपना जल्द ही साकार हो सकता है।