दक्षिण एशिया में भारत की निर्णायक भूमिका: आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस से लेकर वैश्विक शक्ति संतुलन तक
भारत अब सिर्फ बहुपक्षीय मंचों की सदस्यता नहीं निभा रहा, बल्कि निर्णायक कूटनीतिक एजेंडा तय कर रहा है; एससीओ बैठक से लेकर कनाडा की राष्ट्रीय नीति तक भारत की कूटनीति का प्रभाव स्पष्ट

नई दिल्ली | भारत अब कूटनीतिक दर्शक नहीं, निर्णायक बन चुका है
दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका अब सिर्फ संतुलनकारी नहीं, बल्कि निर्णायक बन चुकी है। यह बात हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की किंगदाओ बैठक में सामने आई, जब भारत ने उस साझा घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले का कोई उल्लेख नहीं था।
यह कदम वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का संकेत बना। भारत का यह स्पष्ट रुख दर्शाता है कि अब वह बहुपक्षीय मंचों पर केवल ‘हाजिरी’ देने नहीं जाता, बल्कि एजेंडा तय करने की स्थिति में है।
🌐 भारत बन रहा है क्षेत्रीय स्थिरता की धुरी
वाशिंगटन स्थित कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के वरिष्ठ विश्लेषक एश्ले जे. टेलिस कहते हैं—
“भारत दक्षिण एशिया का एकमात्र लोकतांत्रिक देश है, जो स्थिरता और विश्वास के साथ क्षेत्रीय संतुलन को बनाए रखे हुए है। अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद जो रणनीतिक शून्यता आई थी, उसे भरने में भारत ने निर्णायक भूमिका निभाई है।”
🔴 कूटनीति में स्पष्टता और प्राथमिकता
वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के विशेषज्ञ जेम्स क्लार्क कहते हैं—
“भारत अब किसी भी वैश्विक मंच पर केवल प्रतीकात्मक भूमिका नहीं निभा रहा, बल्कि वह अपनी सुरक्षा चिंताओं को पहले स्थान पर रखता है और दृढ़ता से आवाज उठाता है।”
🇮🇳 हिंद-प्रशांत में भारत: चीन के खिलाफ रणनीतिक धुरी
ऑस्ट्रेलियाई रणनीतिकार रॉरी मेडकैफ के अनुसार—
“भारत अब क्वॉड (QUAD) और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क में सिर्फ सहभागी नहीं, बल्कि रणनीतिक धुरी बन चुका है। चीन के बढ़ते दबदबे को संतुलित करने में भारत की निर्णायक भागीदारी है।”
🛰️ आर्थिक और सैन्य आत्मनिर्भरता की ओर भारत
लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ (IISS) की रिपोर्ट कहती है—
“भारत अब सिर्फ उपभोक्ता अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि रक्षा तकनीक, अंतरिक्ष, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर डिफेंस में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।”
ड्रोन टेक्नोलॉजी, स्वदेशी रक्षा प्रणाली और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारत के तेजी से हो रहे निवेश ने भारत को रणनीतिक स्वतंत्रता प्रदान की है।
🇨🇦 भारत की कूटनीति के आगे झुका कनाडा
हाल ही में जारी कनाडा की 2024-25 की राष्ट्रीय सुरक्षा रिपोर्ट में खालिस्तान समर्थकों की मौजूदगी को पहली बार औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया।
यह भारत की लगातार कूटनीतिक चेतावनियों का असर है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कनाडा अब भारत की चिंता और चेतावनियों को गंभीरता से ले रहा है।
🧭 भारत बना अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्धारक
आज भारत उस स्थिति में है जहां वह:
✅ वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर अपने स्टैंड के साथ मजबूती से खड़ा है
✅ आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है
✅ बहुपक्षीय मंचों पर संतुलन नहीं, बल्कि नेतृत्व करता है
✅ क्षेत्रीय स्थिरता और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है
भारत अब सिर्फ दर्शक नहीं, दिशा-निर्धारक है।
📌 निष्कर्ष: कूटनीति में भारत की नई पहचान
नए भारत की विदेश नीति अब स्पष्ट, सशक्त और प्राथमिकताओं पर आधारित है। आतंकवाद, क्षेत्रीय स्थिरता, रणनीतिक आत्मनिर्भरता और डिजिटल प्रभुत्व — इन सभी क्षेत्रों में भारत की आवाज अब केवल सुनी नहीं जाती, बल्कि मानी भी जाती है।
दक्षिण एशिया की राजनीति और सुरक्षा समीकरणों में भारत एक अनदेखा न किया जा सकने वाला कारक बन चुका है।