इजराइल ने डोनाल्ड ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए किया नामित: नेतन्याहू बोले- आप इसके असली हकदार
मिडिल ईस्ट में शांति प्रयासों के लिए इजराइल ने किया नॉमिनेशन, इससे पहले पाकिस्तान भी कर चुका है ट्रम्प को नोबेल के लिए नामित

वॉशिंगटन डीसी: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इजराइल ने आधिकारिक तौर पर नामांकित किया है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में ट्रम्प से मुलाकात के दौरान यह घोषणा की और कहा, “आप इस पुरस्कार के असली हकदार हैं, क्योंकि आपने मिडिल ईस्ट में शांति की दिशा में जो काम किया है, वो ऐतिहासिक है।”
मिडिल ईस्ट में ट्रम्प की भूमिका
नेतन्याहू ने विशेष तौर पर ट्रम्प की उन कोशिशों की सराहना की, जिनके तहत इजराइल और कई अरब देशों के बीच ऐतिहासिक समझौते हुए थे। अब्राहम एकॉर्ड (Abraham Accords) जैसे समझौते इस क्षेत्र में स्थिरता और सहयोग की दिशा में बड़े कदम माने जाते हैं। इजराइल मानता है कि ट्रम्प के प्रयासों ने मध्य पूर्व में शांति की संभावनाओं को मजबूत किया।
व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात
यह घोषणा उस समय की गई जब नेतन्याहू और ट्रम्प की व्हाइट हाउस में निजी बैठक हुई। नेतन्याहू ने अपने बयान में कहा कि वैश्विक शांति के लिए ट्रम्प की नीति निर्णायक रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस नॉमिनेशन के पीछे केवल राजनीतिक उद्देश्य नहीं, बल्कि ट्रम्प के ‘रीजनल पीस बिल्डर’ की भूमिका को सम्मान देना मुख्य कारण है।
पाकिस्तान भी कर चुका है ट्रम्प को नॉमिनेट
ट्रम्प को नोबेल के लिए नामित करने वाला इजराइल पहला देश नहीं है। इससे पहले पाकिस्तान ने भी आधिकारिक तौर पर 2020 में ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था, जब उन्होंने अमेरिका-तालिबान के बीच बातचीत में मध्यस्थता की थी। ऐसे में यह दूसरी बार है जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन्हें शांति के प्रतीक के रूप में देखा गया है।
अमेरिका और इजराइल के रिश्तों में नई जान
इस नॉमिनेशन को अमेरिका और इजराइल के बीच मजबूत होते संबंधों के रूप में भी देखा जा रहा है। नेतन्याहू ने कहा, “ट्रम्प का नेतृत्व केवल अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि विश्व शांति के लिए भी प्रेरक रहा है।”
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रम्प का नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया जाना वैश्विक राजनीति में एक बड़ी घटना है। इजराइल की यह पहल न केवल ट्रम्प की विदेश नीति की स्वीकृति को दर्शाती है, बल्कि मिडिल ईस्ट में शांति के प्रयासों को एक बार फिर से वैश्विक विमर्श का हिस्सा बना देती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नोबेल कमेटी इस नॉमिनेशन पर क्या रुख अपनाती है।