
भारत सरकार: द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन सिंधु” के तहत इजराइल में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाने का कार्य तेज़ी से जारी है। सोमवार को 160 भारतीयों का पहला जत्था जॉर्डन की राजधानी अम्मान से रवाना हुआ जो 24 जून को दिल्ली पहुंचा।
अब तक कुल 2003 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। इसमें 604 लोगों को जॉर्डन और मिस्र के माध्यम से बाहर निकाला गया।
ईरान-इजराइल संघर्ष बना संकट का कारण
इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र में हवाई सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है।
दोहा एयरस्पेस पर अस्थायी प्रतिबंध के चलते फ्लाइट को कुवैत डायवर्ट करना पड़ा। इस कारण कई उड़ानों में देरी और मार्ग बदलने जैसी चुनौतियाँ भी सामने आईं।
भारतीय दूतावास की सतर्कता और तैयारी
इजराइल में भारतीय दूतावास की ओर से लगातार राहत कार्य जारी है।
दूतावास ने रविवार और सोमवार को हाइफा, तेल अवीव और येरूशलम जैसे संवेदनशील इलाकों से भारतीयों को एकत्र कर जॉर्डन बॉर्डर पर ट्रांजिट कैंप के जरिए सुरक्षित निकाला।
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) भी ऑपरेशन की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रख रहा है और भारतीयों को सोशल मीडिया और वेबसाइट्स के ज़रिए अपडेट्स दिए जा रहे हैं।
अब तक की प्रगति:
- ✅ 2003 भारतीय नागरिक सुरक्षित वापस लाए गए
- ✅ 604 लोग जॉर्डन व मिस्र रूट से निकाले गए
- ✅ 160 लोगों का पहला जत्था दिल्ली पहुंचा
- ✅ आगे के जत्थों के लिए तैयारियां पूर्ण
सरकार का बयान:
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा—
“भारत सरकार अपने हर नागरिक की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। ऑपरेशन सिंधु इस बात का प्रमाण है कि संकट की घड़ी में हम अपने लोगों को पीछे नहीं छोड़ते।”
निष्कर्ष:
“ऑपरेशन सिंधु” न केवल भारत की त्वरित कूटनीतिक सक्रियता का उदाहरण है, बल्कि यह नागरिक सुरक्षा और विदेश नीति में मजबूत संकल्प का प्रतीक बन गया है।
भारत सरकार की तत्परता और दूतावास की कार्यशैली इस मिशन को एक सफल मानवीय ऑपरेशन बना रही है।