यूपी को दक्षिण से जोड़ेगा 1989 किमी लंबा उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर

उत्तर प्रदेश : को दक्षिण भारतीय राज्यों से जोड़ने के लिए राज्य सरकार 1989 किमी लंबा उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर बनाने जा रही है। इस कॉरिडोर का प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई पीडब्ल्यूडी की बैठक में पेश किया गया। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बेहतर तरीके से जोड़ना है।
उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर: प्रदेश के विकास की नई दिशा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि राज्य में अधिकतर राजमार्ग और एक्सप्रेसवे पूर्व-पश्चिम दिशा में केंद्रित हैं। ऐसे में प्रदेश को दक्षिणी राज्यों से जोड़ने के लिए उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर का निर्माण आवश्यक है। यह कॉरिडोर नेपाल सीमा से लेकर प्रदेश के दक्षिणी छोर तक फैले जिलों को जोड़ेगा।
18 हजार करोड़ रुपये की लागत, 552 किमी ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट इस कॉरिडोर की कुल लंबाई 1989 किमी होगी, जिसमें से 1250 किमी हिस्सा एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) और 739 किमी हिस्सा यूपी पीडब्ल्यूडी के अधीन होगा। परियोजना की कुल लागत 18 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें 552 किमी ग्रीनफील्ड परियोजनाएं शामिल हैं।
कनेक्टिविटी में सुधार और व्यापार को बढ़ावा उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर के निर्माण से यूपी के सीमावर्ती जिलों में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यह कॉरिडोर प्रदेश को मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
ये स्थान होंगे कॉरिडोर से जुड़े:
- कोटद्वार-नजीबाबाद-अमरोहा-इटावा-ललितपुर-सागर (मध्य प्रदेश)
- काशीपुर-मुरादाबाद-हाथरस-मथुरा-भरतपुर (राजस्थान)
- पिथौरागढ़-पीलीभीत-शाहजहांपुर-कानपुर-हमीरपुर, छतरपुर (मध्य प्रदेश)
- ककरहवा (नेपाल बॉर्डर)-बांसी-बस्ती-जौनपुर
- भोगिनीपुर-औरेया-कन्नौज-हरदोई-सीतापुर-लखीमपुर-गौरीफंटा (नेपाल बॉर्डर)
- पडरौना-देवरिया-मऊ-गाजीपुर-मेदिनीनगर (झारखंड)
- श्रावस्ती-गोंडा-अयोध्या-प्रयागराज-चाकघाट
- ऊंचाहार-चित्रकूट
निष्कर्ष: उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर का निर्माण उत्तर प्रदेश में व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा। यह कॉरिडोर प्रदेश को दक्षिण भारत के राज्यों से सीधे जोड़ते हुए आर्थिक और सामाजिक विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।