इस्राइल ने ईरान के सैन्य-परमाणु ठिकानों पर किया हमला; तेहरान ने भी की जवाबी कार्रवाई

तेहरान/जेरूसलम। ईरान और इस्राइल के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर लंबे समय से चल रहे तनाव ने गुरुवार देर रात खतरनाक मोड़ ले लिया। इस्राइल ने ईरान की राजधानी तेहरान के पास स्थित प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया। जवाब में ईरान ने भी इस्राइल की ओर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इस टकराव ने मध्य पूर्व में अस्थिरता की चिंता को और गहरा कर दिया है।
धमाकों से दहला तेहरान, एयर डिफेंस हुआ सक्रिय
गुरुवार की आधी रात को हुए इस हमले के बाद तेहरान और आसपास के इलाकों में जोरदार धमाकों की आवाजें सुनी गईं। ईरानी सरकारी मीडिया के मुताबिक, देश की वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह सक्रिय है और हमले का जवाब दिया गया है। कई क्षेत्रों में एयर डिफेंस से रोशनी फैलती देखी गई, जिससे नागरिकों में भय का माहौल बन गया।
इस्राइल में आपात स्थिति, स्कूल बंद
इस्राइल के रक्षा मंत्री योआव गैलैंट ने बयान जारी कर कहा कि यह हमला एक “प्री-एम्पटिव स्ट्राइक” (पूर्व चेतावनी के आधार पर किया गया हमला) था, ताकि ईरान की किसी भी संभावित बड़ी कार्रवाई को रोका जा सके। देश में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है और शुक्रवार को सभी स्कूल बंद रखने के आदेश दिए गए हैं।
तेल की कीमतों में उछाल, वैश्विक चिंता बढ़ी
इस सैन्य टकराव का असर वैश्विक बाज़ारों पर भी पड़ा है। शुरुआती मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमले के बाद तेल की कीमतों में करीब 5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संघर्ष आगे बढ़ा, तो तेल आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ सकता है, जिसका प्रभाव भारत सहित अन्य देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।
ईरान का दावा – हम शांति चाहते हैं, लेकिन सक्षम हैं
ईरान लगातार यह दावा करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ ऊर्जा और चिकित्सा अनुसंधान के लिए है, लेकिन उसकी क्षमता को लेकर पश्चिमी देशों में आशंका बनी हुई है। इस्राइल बार-बार कहता रहा है कि वह ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा। इस ताजा कार्रवाई को इसी नीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
निष्कर्ष: परमाणु टकराव की दहलीज पर दुनिया?
यह हमला और जवाबी हमले विश्व समुदाय को एक बड़े भू-राजनीतिक संकट की ओर धकेल सकते हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर दोनों देश पीछे नहीं हटते, तो यह संघर्ष किसी भी क्षण सीमित युद्ध से पूर्ण युद्ध में बदल सकता है। अब सबकी निगाहें संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक ताकतों की मध्यस्थता पर हैं।