नारद जयंती पर राष्ट्र चिंतकों की चेतावनी: संवाद नहीं, अब संघर्ष होगा, कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक
"युवाओं को धर्म के साथ खड़ा होने की अपील"

शिवपुरी: नारद जयंती के शुभ अवसर पर ‘क्रांतिदूत’ और ‘भारत संस्कृति न्यास’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में राष्ट्र चिंतकों ने कड़ी चेतावनी दी। कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा गया कि संवाद विफल हो तो संघर्ष ही धर्म बन जाता है।
राष्ट्रवादी विचारकों का स्पष्ट संदेश
कार्यक्रम में शामिल प्रसिद्ध राष्ट्रवादी विचारक और सोशल मीडिया पर प्रभावी वक्ता नितिन शुक्ला ने कहा, “पाकिस्तान जैसे असफल और आतंकी राष्ट्रों को भारत की स्पष्ट चेतावनी मिलनी चाहिए कि हमारी सहिष्णुता को कमजोरी न समझा जाए। अब धर्म को स्पष्ट, सशक्त और साहसी स्वरूप में प्रस्तुत करना होगा।”
कश्मीर की सांस्कृतिक अस्मिता पर जोर
वरिष्ठ पत्रकार संजय तिवारी ने कहा कि कश्मीर केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। उन्होंने कहा, “कश्मीर की ऋषि परंपरा और संस्कृति को पुनः प्रतिष्ठा दिलाना ही सांस्कृतिक पुनर्जागरण का हिस्सा है।”
संवाद की सनातन परंपरा पर प्रकाश
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक विजय मान ने नारद मुनि की संवाद परंपरा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “संवाद केवल बोलने का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की नींव है। जब संवाद विफल हो जाए, तो संघर्ष ही धर्म बन जाता है।”
युवाओं के लिए संघर्ष का आह्वान
विशेष अतिथि कपिल देव मिश्र ने कहा, “आज का समय केवल शांति की बातें करने का नहीं, बल्कि सत्य के लिए खड़े होने का है – चाहे उसकी कीमत कुछ भी हो। युवाओं को स्पष्ट पक्ष लेना होगा – या तो धर्म के साथ या उसके विरोध में।”
संगोष्ठी का सफल संचालन
कार्यक्रम का संचालन गीतिका ने अपने काव्यात्मक अंदाज़ में किया और हरिहर निवास शर्मा ने विषय प्रवेश से लेकर समापन तक संगोष्ठी को वैचारिक संतुलन प्रदान किया।
यूट्यूब पर लाइव प्रसारण
यह संगोष्ठी ‘क्रांतिदूत’ चैनल पर लाइव प्रसारित की गई, जिसे बड़ी संख्या में दर्शकों ने देखा और सराहा। लाइव कमेंट्स में दर्शकों ने इसे ऐतिहासिक करार दिया।
संवाद से संघर्ष तक का विचारिक सफर
नारद जयंती की यह संगोष्ठी केवल एक आयोजन नहीं थी, बल्कि यह सनातन चेतना को पुनः जनचेतना के केंद्र में लाने का प्रयास था।