अयोध्या में ‘राजा राम’ की प्राण-प्रतिष्ठा का शुभारंभ: 351 महिलाओं ने निकाली 3 किलोमीटर लंबी भव्य कलश यात्रा

अयोध्या, उत्तर प्रदेश | श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राजा राम की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर एक शानदार आध्यात्मिक उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। सोमवार को इस पावन आयोजन की शुरुआत 351 महिलाओं की कलश यात्रा के साथ हुई, जो पूरे नगर में श्रद्धा, उत्साह और रामभक्ति का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रही थी।
🙏 कलश यात्रा का धार्मिक महत्व और दृश्य
महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजधजकर, सिर पर पवित्र जल से भरे कलश लेकर निकलीं। यात्रा मार्ग में भक्तों ने फूलों की वर्षा कर स्वागत किया और ‘जय श्रीराम’ के नारों से वातावरण गूंज उठा। यात्रा लगभग 3 किलोमीटर लंबी रही, जो श्रीराम जन्मभूमि परिसर तक पहुंची।
🏛️ ट्रस्टियों की भागीदारी से बढ़ा महत्व
इस यात्रा में राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख ट्रस्टी चंपत राय और डॉ. अनिल मिश्रा ने भी भाग लिया। दोनों ही रामलला के जीवन प्रतिष्ठा से जुड़ी गतिविधियों के केंद्रीय स्तंभ माने जाते हैं। उनकी उपस्थिति ने यात्रा को और अधिक पवित्र व ऐतिहासिक बना दिया।
🕉️ राजा राम की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर
राम दरबार में राजा राम की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए धार्मिक अनुष्ठानों, मंत्रोच्चारण, वेदपाठ और विशेष पूजन की व्यापक तैयारी की गई है। मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है और सभी मार्गों को राम ध्वज, केसरिया झंडों और फूलों से सजाया गया है।
📸 कलश यात्रा के मुख्य आकर्षण:
- पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर नृत्य करते कलाकार
- राम दरबार की झांकी के साथ चलती झांकी वाहन
- श्रद्धालुओं द्वारा यात्रा मार्ग पर भंडारा व जलसेवा
- संपूर्ण मार्ग पर भारी पुलिस बल व CCTV निगरानी
🗣️ भक्तों की श्रद्धा:
“ऐसा लग रहा था जैसे स्वयं अयोध्या के राजा रामचंद्र जी इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हों। यह केवल कलश यात्रा नहीं, बल्कि राम राज्य की अनुभूति थी।”
— कविता मिश्रा, अयोध्या निवासी
✅ निष्कर्ष (Conclusion):
अयोध्या का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का परिचायक है, बल्कि सामाजिक समरसता और भारतीय संस्कृति की जीवंत मिसाल भी है। राजा राम की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ अयोध्या एक बार फिर से रामराज्य की अवधारणा को धरातल पर उतारती दिख रही है।