उत्तर प्रदेश

“हर बच्चा खास है”: यूपी सरकार का संवेदनशील पोस्टर अभियान, समावेशी शिक्षा की ओर एक बड़ा कदम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) को लेकर एक राज्यव्यापी जन-जागरूकता अभियान की शुरुआत की है, जो सिर्फ सरकारी निर्देशों का प्रसार नहीं, बल्कि दिलों तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है। ‘हर बच्चा खास है’ नाम से चल रहे इस अभियान के अंतर्गत 1.5 करोड़ से अधिक पोस्टर प्रदेशभर के विद्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जा रहे हैं।

संवेदनशीलता से संवाद तक

इस अभियान का उद्देश्य स्पष्ट है—दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाना और समावेशी शिक्षा को सशक्त बनाना। पोस्टरों के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि हर बच्चे को उसके स्वाभाविक गुणों और सीमाओं के साथ अपनाना चाहिए।

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा –

“यह सिर्फ पोस्टर नहीं, संवेदनशीलता और संवाद की चिंगारी हैं, जो समाज के नजरिए में बदलाव लाने की शक्ति रखते हैं।”


प्रमुख तथ्य और आंकड़े

  • 15,92,592 पोस्टर तैयार किए गए हैं
  • 2,65,432 सेट्स में वितरित किए गए हैं (प्रत्येक सेट में 6 पोस्टर)
  • 1,32,716 सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों को कवर किया गया
  • सभी 75 जिलों में स्कूल, पंचायत भवन, सीएचसी/पीएचसी और आंगनबाड़ी केंद्र शामिल

छह प्रमुख विषय जिन पर आधारित हैं पोस्टर

  1. दिव्यांग बच्चों की समावेशी शिक्षा हेतु दी जाने वाली सुविधाएं
  2. कक्षा में उनकी समान भागीदारी एवं अनुभूति सुनिश्चित करना
  3. प्रत्येक दिव्यांग बच्चे को शिक्षित बनाएं, अपना सहयोग दिखाएं
  4. गंभीर और बहु-दिव्यांग बच्चों के लिए होम-बेस्ड एजुकेशन
  5. समावेशी विद्यालय के विकास में ग्राम पंचायत की भूमिका
  6. सुरक्षित व असुरक्षित स्पर्श की समझ

क्यों है यह पहल खास?

  • भावनात्मक रूप से जुड़ाव: पोस्टरों में सीधे सवालों के माध्यम से दर्शकों को आत्ममंथन के लिए प्रेरित किया गया है – “क्या आपने उसकी आंखों में भरोसा देखा है?”
  • व्यावहारिक भाषा: सरल और स्पष्ट संदेशों के जरिए आमजन तक पहुंच बनाने का प्रयास
  • समाज का दृष्टिकोण बदलने की पहल: दिव्यांगता को एक कमी नहीं, बल्कि सामाजिक विविधता के रूप में प्रस्तुत किया गया है

यूनिसेफ का सहयोग और व्यापक कवरेज

यूनिसेफ के सहयोग से यह अभियान परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट स्कूलों, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में चलाया जा रहा है। इसके साथ ही पंचायत भवन, CHC/PHC, आंगनबाड़ी केंद्रों और सार्वजनिक स्थलों पर पोस्टर लगाए जा रहे हैं, ताकि संदेश समाज के हर वर्ग तक पहुंचे।


शिक्षा से बढ़कर सोच का बदलाव

इस पहल को सिर्फ एक स्कीम की तरह न देखकर, सोच बदलने का माध्यम बनाया गया है। यह दिखाता है कि सरकार अब केवल नीतियों से नहीं, नजरिए से बदलाव लाना चाहती है। दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा में लाना न केवल उनका अधिकार है, बल्कि समाज की नैतिक जिम्मेदारी भी।

संदीप सिंह ने कहा:
“हम सिर्फ स्कूलों में बेंच नहीं बढ़ा रहे, हम समाज में सोच का दायरा बढ़ा रहे हैं।”


निष्कर्ष

‘हर बच्चा खास है’ अभियान न केवल एक पोस्टर प्रोजेक्ट है, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन है। यह उन आवाज़ों को मंच देने की पहल है जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं। यह अभियान बताता है कि सशक्त समाज की नींव एक सुरक्षित और समावेशी बचपन से ही बनती है।

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