उत्तर प्रदेश

सोनम के चक्कर में फंस गई यूपी की लड़की: BJP विधायक पर निशाना, SP ने चहेतों को दी दोगुनी पावर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से अंदरूनी घमासान सुर्खियों में है। मामला सिर्फ एक लड़की या एक केस का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में चल रही रस्साकशी और रसूख की लड़ाई का है। सोनम नाम की एक महिला के इर्द-गिर्द घूमता यह विवाद अब BJP विधायक और एक SP के बीच अधिकारों की लड़ाई में बदल गया है।

सूत्रों के मुताबिक, यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब सोनम के एक पुराने मामले में पुलिस जांच को लेकर राजनीतिक दबाव बढ़ा। बताया जा रहा है कि एक युवा लड़की, जो मूलतः यूपी की है, को सोनम के विवादों में बेवजह घसीटा गया। इस मामले को लेकर बीजेपी के एक विधायक ने खुलकर आवाज उठाई, लेकिन जवाब में एसपी ने अपनी पसंद के अधिकारियों को ‘डबल पावर’ के साथ पोस्टिंग देकर विधायक को अप्रत्यक्ष संदेश दे दिया।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार, सोनम का नाम एक ट्रांसपोर्ट कारोबारी की हत्या केस से जुड़ चुका है, और उसी केस में कई संदिग्धों की संलिप्तता की जांच चल रही थी। इसी बीच एक निर्दोष युवती का नाम भी केस से जोड़ा गया, जो कि बाद में गलत साबित हुआ।

इस पर BJP विधायक ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए, और एसपी से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। लेकिन जवाब में एसपी ने अपने विश्वस्त अधिकारियों को नई जिम्मेदारियों से लैस कर दिया, और यह फैसला सीधे विधायक के प्रभाव को चुनौती देने जैसा माना गया।

राजनीति और पुलिस की आपसी खींचतान

राज्य में सत्ता पक्ष से जुड़े विधायक यदि हीनभावना में दिखें और पुलिस विभाग अपनी ताकत के प्रदर्शन में जुट जाए, तो यह न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है बल्कि आम जनता की न्यायिक उम्मीदों के लिए भी झटका है।

हालिया घटनाक्रम यही दिखा रहा है — एसपी का अपने चहेतों को दोगुनी ताकत देना, विवादों को शांत करने की जगह, प्रशासनिक शक्ति प्रदर्शन बन चुका है। इससे यह भी साफ होता है कि सत्ता के गलियारों में केवल बड़े नाम ही नहीं, बड़ी चालें भी चला जा रही हैं।

लोगों में नाराजगी और सवाल

जनता के बीच अब यह चर्चा तेज है कि:

  • क्या वाकई सोनम केस में राजनीतिक दबाव डाला जा रहा है?
  • क्या युवती का नाम जानबूझकर मामले में घसीटा गया?
  • क्या एसपी द्वारा अधिकारियों को मिली अतिरिक्त शक्तियां व्यक्तिगत बदले का हिस्सा हैं?

इन सवालों का जवाब अभी बाकी है, लेकिन इतना तय है कि यह मामला आने वाले समय में यूपी की राजनीति और प्रशासन में भूचाल ला सकता है।


निष्कर्ष:
यूपी की राजनीति में ‘सोनम’ अब सिर्फ एक नाम नहीं रहा, बल्कि एक ऐसे विवाद का केंद्र बन चुका है, जिसमें सत्ता, पुलिस और न्याय के सिद्धांत तीनों ही आमने-सामने आ गए हैं। जब प्रशासनिक ताकतें निजी राजनीति का हिस्सा बनने लगें, तो नुकसान सिर्फ व्यवस्था का नहीं होता, बल्कि आम नागरिक की उम्मीदों का भी होता है।

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