उत्तर प्रदेश

लखनऊ में गंदा पानी पीने से डायरिया फैल रहा: 5 लाख आबादी सीवर मिला लाल-काला पानी पीने को मजबूर, जनसुनवाई में रोने लगे लोग

लखनऊ: राजधानी लखनऊ की भीषण गर्मी और प्रशासनिक लापरवाही ने मिलकर 5 लाख से ज्यादा लोगों को पानी के गंभीर संकट में धकेल दिया है। कई इलाकों में लोग लाल-काले रंग का बदबूदार और सीवर से मिला हुआ पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे डायरिया के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।


नगर निगम की नाकामी, लोग परेशान

शहर के कई हिस्सों में पेयजल की जगह गंदा, झागदार पानी नलों से आ रहा है, जो पीने तो दूर नहाने लायक भी नहीं है। स्थानीय पार्षदों ने बताया कि वे कई बार नगर निगम को अवगत करा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

“लोग अपनी समस्या लेकर जनसुनवाई में आते हैं और रो पड़ते हैं। बच्चों को डायरिया हो गया है, बुजुर्ग उल्टी-दस्त से परेशान हैं,” – एक पार्षद ने आक्रोश में कहा।


गर्मी में जल आपूर्ति ठप, टैंकर भी नहीं पहुंच रहे

गर्मी की वजह से बोरिंग सूख चुकी हैं और जल संस्थान की पाइपलाइनें भी पुरानी और लीक हो चुकी हैं। टैंकर सेवा भी अनियमित है। ऐसे में कई इलाकों में लोगों को कुओं या हैंडपंपों से भी गंदा पानी निकालकर पीना पड़ रहा है


डॉक्टरों की चेतावनी: डायरिया और संक्रमण तेजी से फैल रहे

स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि गंदा पानी पीने से डायरिया, पेचिश और टाइफाइड जैसे रोग तेजी से फैल रहे हैं। अस्पतालों में बच्चों और बुजुर्गों की भीड़ बढ़ गई है। डॉक्टरों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर जल गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ तो संक्रमण और गंभीर रूप ले सकता है।


क्या कहता है प्रशासन?

नगर निगम के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया:

“हमें कुछ क्षेत्रों में जल संकट की शिकायतें मिली हैं। पाइपलाइन लीकेज और ट्रीटमेंट में समस्या आ रही है, जिसे जल्द ठीक किया जा रहा है।”

लेकिन स्थानीय लोग और पार्षद इस दावे को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि “कई हफ्तों से हालात ऐसे ही हैं, कोई देखने तक नहीं आता।”


निष्कर्ष:

लखनऊ जैसे मेट्रो शहर में 5 लाख की आबादी का गंदा पानी पीना और बीमार होना एक बड़ा सवाल है – क्या जिम्मेदारों की जवाबदेही तय होगी? क्या जनता को साफ पानी मिलेगा या हालात और बिगड़ेंगे?

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