उत्तर प्रदेशलखनऊ

लखनऊ में रईसजादों ने सिपाही को चौकी में पीटा, कहा ‘कुत्ता’: चौथे आरोपी की अब तक पहचान नहीं, दावा- वह ADG का बेटा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाना क्षेत्र में कानून व्यवस्था को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है, जहां चार रईसजादों ने एक सिपाही को चौकी में बंद करके बुरी तरह पीटा। उन्होंने उसकी वर्दी फाड़ दी, गाली-गलौज की और ‘कुत्ता’ कहकर अपमानित किया। यह घटना हजरतगंज की एक पुलिस चौकी के अंदर हुई, जिससे पुलिस की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं।


क्या है मामला?

सूत्रों के अनुसार, चार युवक आपस में झगड़ रहे थे। जब ड्यूटी पर मौजूद सिपाही ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो वे बिफर गए। चौकी में घुसकर सिपाही के साथ मारपीट की, कुर्सी-टेबल तोड़ दी और सरकारी सामान को नुकसान पहुंचाया। घटना के बाद पुलिस ने तीन युवकों को हिरासत में लिया, लेकिन चौथे युवक की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है


ADG का बेटा होने का दावा, पुलिस पर ढिलाई के आरोप

स्थानीय लोगों और सूत्रों का दावा है कि चौथा युवक एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी (ADG) का बेटा है, जिसके चलते उसकी पहचान जानबूझकर छिपाई जा रही है। इस मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं


13 दिन बाद भी नहीं हुई चौथे आरोपी की पहचान

घटना को हुए 13 दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस अब तक चौथे आरोपी की सीसीटीवी या तकनीकी माध्यम से पहचान नहीं कर पाई है। इससे आमजन में नाराजगी है और सोशल मीडिया पर पुलिस की भूमिका पर आलोचना तेज हो गई है


पुलिस प्रशासन मौन, विपक्ष हमलावर

जहां पुलिस अधिकारी मामले में ‘जांच जारी है’ कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं, वहीं विपक्षी दलों ने इसे ‘कानून का दोहरा रवैया’ बताया है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा:

“अगर यही हरकत किसी आम नागरिक ने की होती तो अब तक जेल में होता, लेकिन सत्ता से जुड़े लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है।”


सवालों के घेरे में पुलिस तंत्र

इस घटना ने पुलिस विभाग के अंदर के भ्रातृप्रेम और पक्षपात की सोच को उजागर कर दिया है। क्या पुलिस अपने ही सिपाही को न्याय दिलाने में असमर्थ है, या फिर जानबूझकर बड़े नामों के सामने झुक रही है?


निष्कर्ष:

यह घटना न सिर्फ पुलिस तंत्र की कमजोरी, बल्कि सत्ता संरक्षित अपराधियों के बढ़ते हौसले को भी उजागर करती है। अब सवाल यह है कि पुलिस चौथे आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी कब करेगी, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button