लखनऊ में कारोबारी ने पत्नी और बेटी संग खाया जहर, तीनों की मौत
बेटी ने हालत बिगड़ने पर बड़ी मां को फोन कर कहा - "जल्दी आ जाइए", दरवाजा तोड़कर मिलीं लाशें

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में सोमवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जब एक कपड़ा कारोबारी ने अपनी पत्नी और 16 वर्षीय बेटी के साथ मिलकर ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली। घटना की जानकारी तब मिली जब बेटी की हालत बिगड़ने पर उसने बड़ी मां को फोन कर घटना की सूचना दी। जब रिश्तेदार मौके पर पहुंचे तो फ्लैट का दरवाजा अंदर से बंद मिला। दरवाजा तोड़ने पर तीनों बेहोश अवस्था में पड़े थे और उनके मुंह से झाग निकल रहा था।
घटना के पीछे आर्थिक तंगी या पारिवारिक कलह की आशंका
पुलिस के अनुसार मृतक की पहचान 45 वर्षीय अमित अग्रवाल के रूप में हुई है जो शहर के चौक इलाके में कपड़े का व्यवसाय करते थे। उनकी पत्नी नीतू अग्रवाल (42) और बेटी रितिका (16) भी इस आत्मघाती कदम का हिस्सा बनीं। प्रारंभिक जांच में आर्थिक तंगी या पारिवारिक तनाव को कारण माना जा रहा है, हालांकि कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
बेटी ने दी थी अंतिम सूचना: “मां-पापा की हालत ठीक नहीं, जल्दी आ जाइए”
रविवार की रात सब कुछ सामान्य था। सोमवार सुबह करीब 7 बजे रितिका ने बड़ी मां (अमित अग्रवाल की बड़ी भाभी) को फोन किया और घबराई हुई आवाज़ में कहा –
“मां-पापा की हालत ठीक नहीं है… जल्दी आ जाइए…”
इसके बाद कॉल कट हो गया। जब परिजन मौके पर पहुंचे तो दरवाजा बंद था। उन्होंने तुरंत पुलिस और पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा।
बचाने की कोशिश नाकाम, अस्पताल में हुई पुष्टि
तीनों को तत्काल ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। चिकित्सकों के अनुसार तीनों की मौत जहरीला पदार्थ सेवन करने से हुई है। शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं।
पड़ोसी भी हैरान: “कभी झगड़ा नहीं देखा”
फ्लैट के पड़ोसियों ने बताया कि अमित अग्रवाल का परिवार शांत स्वभाव का था और किसी से किसी तरह की रंजिश नहीं थी। पड़ोसियों ने यह भी बताया कि रविवार शाम को सब सामान्य लग रहा था। उन्होंने कभी घर में किसी तरह का झगड़ा या तनाव महसूस नहीं किया।
पुलिस कर रही है मामले की गहन जांच
एसीपी चौक के अनुसार, “मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। मोबाइल और लैपटॉप की जांच की जा रही है। कॉल डिटेल्स निकाली जा रही हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके बाद स्थिति और साफ होगी। परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ जारी है।”
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर समाज में मानसिक तनाव, आर्थिक दबाव और संवादहीनता पर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते कोई परामर्श या सहायता मिल जाए, तो ऐसी त्रासदियां टाली जा सकती हैं।