पुरी में आज निकलेगी भगवान जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा: सुरक्षा चाक-चौबंद, 6000 जवान और 275 CCTV से निगरानी
भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ लौटेंगे मुख्य मंदिर; रथ यात्रा उत्सव का होगा समापन

पुरी (ओडिशा): पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का समापन आज बाहुड़ा यात्रा के साथ होगा। भगवान जगन्नाथ एक सप्ताह तक गुंडिचा मंदिर में निवास करने के बाद आज अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ 12वीं सदी के श्रीमंदिर लौटेंगे। इस पावन अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध
27 जून को शुरू हुई रथ यात्रा के दौरान 29 जून को गुंडिचा मंदिर के पास भगदड़ में तीन लोगों की मृत्यु और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस घटना के मद्देनजर प्रशासन ने बाहुड़ा यात्रा के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरती है।
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6,000 पुलिसकर्मी और 800 CAPF जवान सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे।
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275 AI-लैस CCTV कैमरे भीड़ और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
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DGP वाईबी खुरानिया स्वयं पुरी में मौजूद रहकर स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन की तैयारियां
एसजेटीए के मुताबिक, देवताओं की ‘पहांडी’ (जुलूस) दोपहर 12 बजे शुरू होगी।
पुरी के राजा गजपति महाराज दिव्यसिंह देब दोपहर 2:30 से 3:30 बजे के बीच ‘छेरा-पहांरा’ (रथों की पारंपरिक सफाई) करेंगे।
इसके बाद शाम 4 बजे से रथ खींचने की शुरुआत होगी।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की संभावना
शुक्रवार को ‘संध्या दर्शन’ के दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने गुंडिचा मंदिर में देवताओं के दर्शन किए। शनिवार की बाहुड़ा यात्रा में भी लाखों की संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है। इसको लेकर प्रशासन ने ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण की विशेष योजना तैयार की है।
धार्मिक महत्व
बाहुड़ा यात्रा रथ यात्रा महोत्सव का अंतिम चरण होता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने जन्मस्थान गुंडिचा मंदिर से वापस मूल मंदिर में लौटते हैं। यह यात्रा आध्यात्मिक पुनःमिलन और भक्तिभाव का प्रतीक मानी जाती है।
निष्कर्ष:
पुरी में बाहुड़ा यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसे देखने और अनुभव करने के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। प्रशासन की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था के जो इंतजाम किए गए हैं, वे इस आयोजन को शांतिपूर्वक और भव्य तरीके से संपन्न कराने में सहायक होंगे।