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अब बढ़ गई दरोगा की मुसीबत: हाई टेंशन लाइन से टकराया ताजिया, लग गई आग; ताजिएदारों में मचा हाहाकार;

23 फीट ऊंचे ताजिए में लगी आग से मचा हड़कंप, नियमानुसार ऊंचाई बताने वाले दरोगा की भूमिका संदिग्ध

बरेली (उत्तर प्रदेश)। मोहर्रम के मौके पर बरेली के फरीदपुर क्षेत्र के गौसगंज गांव में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक ताजिया ऊपर से गुजर रही हाई टेंशन लाइन (11 हजार वोल्ट) से टकरा गया।
23 फीट ऊंचा ताजिया बिजली की लाइन से स्पर्श होते ही जलने लगा, जिससे मौके पर भगदड़ मच गई।
स्थानीय लोगों की सतर्कता और ताजिया को नीचे उतारकर आग बुझाने के प्रयासों से बड़ा हादसा टल गया, हालांकि ताजिए का ऊपरी हिस्सा जल गया


घटना कैसे घटी

रविवार दोपहर बाद गौसगंज गांव से बरेली-शाहजहांपुर मेन रोड की ओर ताजिया जुलूस जा रहा था।
जब यह जुलूस गौसगंज पुलिया के पास पहुंचा, तभी ताजिया ऊपर से गुजर रही 11 हजार वोल्ट की हाई टेंशन लाइन से टकरा गया।
लोगों ने किसी तरह ताजिया को नीचे उतारा और जले हुए हिस्से को अलग कर उसे दफनाया गया।


ताजिए की ऊंचाई बनी जांच का विषय

इस घटना के बाद एसपी साउथ अंशिका वर्मा को इसकी जानकारी दी गई।
उन्होंने तत्काल संबंधित क्षेत्र के हल्का इंचार्ज से ताजियों की ऊंचाई की रिपोर्ट तलब की।
रिपोर्ट में ताजिए की ऊंचाई को नियमानुसार दर्शाया गया था, जबकि मौके पर मौजूद लोगों और वीडियो फुटेज से पता चला कि ताजिया करीब 23 फीट ऊंचा था।

इस पर एसपी साउथ ने रिपोर्ट तैयार करने वाले हल्का दरोगा की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि जानबूझकर गलत रिपोर्ट दी गई है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


एसपी साउथ का बयान

एसपी साउथ अंशिका वर्मा ने मीडिया को बताया,

“जांच में सामने आया है कि आग लगने वाले ताजिए की ऊंचाई नियमानुसार तय सीमा से अधिक थी। जबकि हल्का दरोगा द्वारा दी गई रिपोर्ट में यह हाइट सामान्य बताई गई थी। इसलिए उनकी भूमिका की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।”


स्थानीय प्रशासन पर उठे सवाल

इस घटना ने स्थानीय प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रश्न यह है कि अगर ताजिए की ऊंचाई पहले ही 23 फीट थी, तो इसे पास कैसे किया गया?
क्या यह सिर्फ हल्का दरोगा की लापरवाही थी या फिर रिपोर्ट में जानबूझकर गड़बड़ी की गई?


बड़ा हादसा टला, फिर भी सबक जरूरी

हालांकि गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन यह घटना भविष्य के लिए सावधानी और पारदर्शिता का बड़ा संकेत है।
विशेषकर धार्मिक आयोजनों में प्रशासन को ऊंचाई, रूट, और सुरक्षा व्यवस्था का कड़ा पालन सुनिश्चित करना चाहिए


निष्कर्ष (Conclusion):

बरेली के फरीदपुर में हुए इस हादसे ने दिखा दिया कि छोटी सी चूक भी बड़े संकट का कारण बन सकती है।
जहां एक ओर धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक जिम्मेदारी का पालन अनिवार्य होता है।
जांच के बाद यह तय होगा कि हल्का दरोगा की गलती लापरवाही थी या जानबूझकर की गई अनदेखी।

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