लखनऊ – उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्राइमरी स्कूलों के मर्जर को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब राज्य में किसी भी ऐसे स्कूल का मर्ज नहीं होगा जिसमें 50 से अधिक छात्र पंजीकृत हैं। साथ ही, एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित स्कूलों को भी एक-दूसरे में विलय नहीं किया जाएगा। यह ऐलान प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने किया है।
📢 पूर्व में हुए मर्जर होंगे रद्द
शिक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले जिन स्कूलों का मर्जर हो चुका है, लेकिन वे मानकों पर खरे नहीं उतरते, उन्हें भी निरस्त किया जाएगा। मंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस प्रक्रिया में किसी भी शिक्षक का पद समाप्त नहीं किया जाएगा और न ही उनकी पोस्टिंग को प्रभावित किया जाएगा।
📍 ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को राहत
इस फैसले से ग्रामीण और दूर-दराज़ के इलाकों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सीधी राहत मिलेगी, जिन्हें अब अपने स्कूल से दूर किसी अन्य स्थान पर नहीं जाना पड़ेगा। इससे बच्चों की उपस्थिति, सुरक्षा और शिक्षा की निरंतरता बनी रहेगी।
📚 सरकार की शिक्षा नीति का हिस्सा
उत्तर प्रदेश सरकार की यह घोषणा राज्य की ‘सर्व शिक्षा अभियान’ और ‘स्कूल चलो अभियान’ के तहत एक बड़ी रणनीति के रूप में देखी जा रही है, जिसका मकसद है – सर्व-सुलभ शिक्षा और टीचिंग स्टाफ की स्थिरता।
🧑🏫 शिक्षकों का नहीं होगा नुकसान
शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस निर्णय से कोई भी शिक्षक बेरोजगार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षकों को उनकी आवश्यकता के अनुसार अन्य विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा।
👉 निष्कर्ष:
यूपी सरकार का यह फैसला एक संतुलित और व्यावहारिक कदम माना जा रहा है, जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी और शिक्षकों की नौकरी पर भी कोई संकट नहीं आएगा। ग्रामीण शिक्षा के ढांचे में यह एक सकारात्मक बदलाव लाने वाला कदम है।