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पाकिस्तान: सिंधु नदी पर स्कीम के खिलाफ भड़की हिंसा, गृहमंत्री जियाउल हसन लंजर का घर जलाया

सिंधु नदी का पानी डाइवर्ट करने की योजना को लेकर प्रदर्शन हुआ हिंसक, प्रदर्शनकारियों ने सिंध प्रांत के गृहमंत्री के घर में की तोड़फोड़ और आगजनी

इस्लामाबाद/कराची: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मंगलवार को एक जल विवाद को लेकर स्थिति उस समय हिंसक हो गई, जब प्रदर्शनकारियों ने गृहमंत्री जियाउल हसन लंजर का घर जला दिया। यह हिंसा सिंधु नदी के पानी को डाइवर्ट करने की सरकारी योजना के विरोध में भड़की।


सिंधु नदी की योजना बनी आग की वजह

पाकिस्तान सरकार की ओर से सिंधु नदी का पानी दूसरे क्षेत्रों में डाइवर्ट करने की योजना पेश की गई थी, जिसका सिंध के स्थानीय निवासियों और किसानों ने कड़ा विरोध किया। उनका आरोप है कि इस योजना से सिंध को मिलने वाला पानी कम हो जाएगा और इसका सीधा असर खेती और जीवनयापन पर पड़ेगा।

सरकार के खिलाफ विरोध जताने के लिए निकले प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने सिंध के गृहमंत्री जियाउल हसन लंजर के निजी आवास पर हमला कर दिया। भीड़ ने घर में घुसकर तोड़फोड़ की और फर्नीचर व कमरों को आग के हवाले कर दिया।


गार्ड्स पर भी हमला

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब गृहमंत्री के घर के बाहर तैनात सुरक्षा गार्ड्स ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, तो उन्हें भी पीटा गया। कई गार्ड गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हमले के समय मंत्री घर पर मौजूद नहीं थे।


सरकार की योजना पर भारी असंतोष

सिंध प्रांत के लोगों का कहना है कि सिंधु नदी उनके जीवन की धारा है और किसी भी सूरत में वे इसके पानी के बंटवारे को स्वीकार नहीं करेंगे।

हमारे पास पहले से ही पानी की कमी है, अगर सिंधु का पानी भी डाइवर्ट कर दिया गया, तो सिंध सूख जाएगा।” – प्रदर्शनकारी


हालात नियंत्रण में लाने की कोशिश

हमले के बाद सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की है। पूरे क्षेत्र में इंटरनेट सेवा आंशिक रूप से बंद कर दी गई है और धारा 144 लागू कर दी गई है।

पाकिस्तान सरकार की तरफ से अब तक कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन आंतरिक सूत्रों के अनुसार, इस योजना को पुनः समीक्षा के लिए रोक दिया गया है।


निष्कर्ष

सिंधु नदी का विवाद केवल जल वितरण का नहीं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार और जीवन की गुणवत्ता से जुड़ा मसला बन चुका है। पाकिस्तान में इस तरह की हिंसा यह दर्शाती है कि सरकार और नागरिकों के बीच संवाद की खाई कितनी गहरी होती जा रही है।

गृहमंत्री के घर पर हुआ हमला निश्चित रूप से गंभीर सुरक्षा चुनौती है और यह दर्शाता है कि जनभावनाओं को नजरअंदाज करना किस कदर खतरनाक हो सकता है।

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