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ईरान-इजराइल युद्ध के 12वें दिन फिर मिसाइल अटैक: तेल अवीव में मिसाइल गिरने से तबाही, इजराइली बोले- ‘अब लड़ते-लड़ते थक गए’

मध्य पूर्व: में जारी तनाव के बीच ईरान और इजराइल के युद्ध का 12वां दिन एक और मिसाइल हमले के साथ शुरू हुआ। तेल अवीव में सुबह करीब 3:30 बजे सायरन की आवाज़ से लोग जागे और बम शेल्टर्स की ओर भागे। कुछ ही सेकेंड में ईरानी मिसाइल ने एक रिहायशी इमारत को पूरी तरह से तबाह कर दिया।


लोगों का दर्द:

मिसाइल अटैक के बाद एक स्थानीय निवासी ने कहा—

“हम अब थक चुके हैं। ये कोई युद्ध नहीं, ये आतंक है। हर सुबह डर के साथ उठना और हर रात बेचैनी में सोना हमारी दिनचर्या बन गया है।”


सीजफायर की घोषणा, लेकिन जमीनी हकीकत अलग:

हालांकि, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सुबह 3:32 बजे एक प्रेस नोट में ईरान-इजराइल सीजफायर की घोषणा की थी, लेकिन इसके कुछ ही मिनटों बाद तेल अवीव पर हमला हो गया। नागरिकों ने सवाल उठाया—

“अगर युद्धविराम है तो हमारे घरों पर मिसाइलें क्यों गिर रही हैं?”


हमले की भयावहता:

  • मिसाइल गिरने के 5 सेकेंड के भीतर पूरी बिल्डिंग ढह गई
  • दमकल कर्मियों को मलबे से शव और घायलों को निकालने में घंटों लग गए।
  • सैकड़ों लोग अब बेघर हो गए हैं।

इजराइली रिएक्शन:

सरकार के प्रवक्ता ने बताया—

“हमने हमले का कड़ा जवाब दिया है, लेकिन अगर ईरान शांति नहीं चाहता तो हमें भी मजबूरन लड़ाई जारी रखनी पड़ेगी।”


दुनियाभर की नजर:

  • संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
  • रूस और चीन ने ईरान के रुख को ‘आत्मरक्षा’ बताया है।
  • भारत सहित कई देश अपने नागरिकों को तुरंत बाहर निकालने में जुटे हैं।

नागरिकों की चिंता:

मिसाइल अटैक झेल रहे आम नागरिकों की मांग है—

“हमें राजनीतिक शांति नहीं, ज़मीनी सुकून चाहिए। कोई नहीं जानता अगला टारगेट कौन होगा।”


निष्कर्ष:

ईरान-इजराइल युद्ध अब राजनीति से आगे बढ़कर मानवता पर संकट बन चुका है। सीजफायर की घोषणाएं केवल कागजों में हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत भयावह बनी हुई है। इजराइली नागरिक अब थकान और असहायता के बीच अपने जीवन की रक्षा की जद्दोजहद कर रहे हैं।

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