रूस ने तालिबान सरकार को दी आधिकारिक मान्यता: ऐसा करने वाला पहला देश बना, अफगानिस्तान में हलचल तेज
काबुल में रूसी राजनयिक और तालिबान मंत्री के बीच बैठक के बाद बड़ा ऐलान; तालिबान बोला- बहादुरी से भरा फैसला, नई शुरुआत

रूस: ने तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी है। यह फैसला उस समय आया जब काबुल में रूसी राजनयिक और तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री के बीच उच्चस्तरीय बैठक हुई। रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान को वैध सरकार के रूप में स्वीकार किया है।
तालिबान ने फैसले को बताया “बहादुरी भरा कदम”
रूस के इस निर्णय के तुरंत बाद तालिबान की तरफ से बयान जारी हुआ जिसमें कहा गया:
“रूस का यह फैसला बहादुरी और अंतरराष्ट्रीय न्याय का प्रतीक है। यह अफगानिस्तान के लिए एक नई शुरुआत है।”
तालिबान प्रवक्ता ने यह भी कहा कि यह मान्यता अफगान जनता के संघर्ष और स्थिरता की दिशा में किए गए प्रयासों की वैश्विक स्वीकृति है।
बैठक में क्या हुआ?
काबुल में हुई इस बैठक में दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग, तेल व्यापार, पुनर्निर्माण, सुरक्षा और राजनयिक समन्वय जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। रूसी दूतावास ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि अब रूस और अफगानिस्तान के बीच औपचारिक राजनयिक संवाद “गंभीर और स्थायी साझेदारी” के रूप में विकसित होंगे।
पश्चिमी देशों की चुप्पी, लेकिन बढ़ी बेचैनी
रूस के इस कदम के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह पश्चिमी गठबंधन के लिए कूटनीतिक झटका हो सकता है। पश्चिमी देश तालिबान को अभी तक आतंकी संगठन मानते आए हैं और महिला अधिकारों, शिक्षा और मानवाधिकार के मुद्दों पर उसके रवैये की आलोचना करते रहे हैं।
क्या है रूस के इस कदम के पीछे की रणनीति?
विश्लेषकों का मानना है कि रूस का यह फैसला भूराजनीतिक संतुलन को प्रभावित करने वाला है। विशेषज्ञों के अनुसार:
-
अमेरिका और नाटो के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद वैक्यूम को भरने के लिए रूस यह रणनीति अपना रहा है।
-
मध्य एशिया में रूस अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है, और अफगानिस्तान में स्थिरता से उसे लाभ होगा।
-
रूस चीन, ईरान और तुर्की जैसे देशों के साथ मिलकर एक नया रणनीतिक मोर्चा तैयार कर सकता है।
मान्यता का असर: अब क्या बदलेगा?
-
राजनयिक संबंधों की बहाली – अब अफगानिस्तान में रूसी दूतावास पूरी तरह सक्रिय होगा और तालिबान भी रूस में अपने प्रतिनिधि भेज सकेगा।
-
आर्थिक सहयोग बढ़ेगा – रूस अफगानिस्तान को तेल, गैस और तकनीकी सहायता प्रदान कर सकता है।
-
वैश्विक मंचों पर तालिबान को समर्थन – संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर तालिबान को औपचारिकता मिल सकती है।
भारत सहित अन्य देशों की नजरें
भारत, जो अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंध रखता है, अभी तक तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं देता है। अब रूस के इस कदम के बाद भारत समेत अन्य एशियाई देशों पर दबाव बढ़ेगा कि वे अपनी स्थिति स्पष्ट करें।