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Gonda News: हिंदी न्यूज नाउ की खबर का असर, भ्रष्टाचार में शामिल प्रधानाचार्य पर चला डीएम का चाबुक

Gonda News:  अगर सही है तो उसका असर होना लाजिमी है। सोशल मीडिया के दौर में गलत खबरों की भरमार हैं, ऐसे में खबरों की विश्वसनीयता का संकट बना रहता है। निष्पक्ष पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रहने वाले हमारे न्यूज पोर्टल हिंदी न्यूज नाऊ ने साबित कर दिया है कि समाचार अगर सच है, तो उसका असर भी होगा। हमने गोंडा जनपद के वजीरगंज विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय मझारा प्रथम में भ्रष्टाचार प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद जागे प्रशासनिक अमले ने आज स्कूल की जांच की और यहां प्रधानाध्यापक पर लग रहे आरोपों को भी सही पाया है। गुरुवार को गोंडा जिलाधिकारी के निर्देश पर खंड शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में प्राथमिक विद्यालय मझारा प्रथम में जांच करने पहुंची। इस दौरान इंचार्ज प्रधानाध्यापिका सुमन कौशल की धांधली उजागर हुई। जानकारी के मुताबिक हाजिरी में बढ़ोतरी पाई गई। लिखित रजिस्टर में जादा बच्चों की प्रजेंट दिखाई गई थी, जबकि मौके पर कम बच्चे ही विद्यालय में मिले। वहीं विद्यालय की सहायक अध्यापकों ने भी इंचार्ज प्रधानाचार्य सुमन कौशल का पुरजोर विरोध किया।

 

यह थी खबर

भ्रष्टाचार कहां नहीं है, यह एक बड़ा सवाल बन गया है। उससे बड़ा सवाल यह है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगाया जाए, जब शिकायत के बावजूद भी अधिकारी कार्रवाई की जगह दोषी को बचाने में जुट जाएं। ऐसा ही कुछ मामला गोंडा जनपद के वजीरगंज विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय मझारा प्रथम से सामने आ रहा है। यहां मिड डे मील व अन्य योजनाओं में भ्रष्टाचार की दोषी पाए जाने पर इंचार्ज प्रधानाध्यापिका सुमन कौशल पर कार्रवाई न होने से लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है। स्कूल के शिक्षकों का आरोप है, कि प्रधानाध्यापिका के खिलाफ जांच में सच का साथ देने की वजह से की वजह से सुमन कौशल की तरफ से उन्हें परेशान भी किया जा रहा है।

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गौरतलब है कि वजीरगंज विकास खंड के मझारा प्रथम स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात इंचार्ज प्रधानाध्यापिका सुमन कौशल के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने मई, 2022 में विरोध प्रदर्शन करते हुए खंड शिक्षाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी। बताया जा रहा है कि शिकायत के आधार पर प्रधानाध्यापिका के खिलाफ जांच हुई, जिसमें उनपर लगे आरोप सही भी पाए गए हैं। बावजूद इसके उनपर अभी तक कार्रवाई नहीं हो सकी है। इससे जहां लोगों में आक्रोश है, वहीं जांच अधिकारी की मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। वहीं स्कूल के शिक्षकों का आरोप है कि जांच में सच का साथ देने पर प्रधानाध्यापिक सुमन कौशल की तरफ से उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। हालांकि इस आरोप पर कोई शिक्षक मुखर होकर बोलने को तैयार नहीं है।

बताते चलें कि खंड शिक्षाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजे गए शिकायती पत्र में इंचार्ज प्रधानाध्यापिका पर निम्न आरोप लगाए गए थे।

1-उनके द्वारा विगत 3 वर्षों में कभी भी मीनू के अनुसार भोजन नहीं बनाया जाता है तथा नामांकन अधिक और उपस्थिति अति कम होने के बावजूद भी बच्चों की उपस्थिति, उपस्थिति पंजिका पर तथा एमडीएम पंजिका पर बढ़ाकर दर्शाई जाती है।

2- विद्यालय में विगत 3 वर्षों में कभी भी स्कूल मैनेजमेंट कमेटी की कोई बैठक नहीं हुई है, किंतु अभिलेखों पर महीने के प्रथम बुधवार को एजेंडा दिखाकर इनके द्वारा सभी सदस्यों का फर्जी हस्ताक्षर किया जाता है। विद्यालय के मद में आए हुए कंपोजिट ग्रांट को विद्यालय के लिए खर्च नहीं किया जाता है।

3- कोविड-19 के दौरान 87,94 124 दिवस के खाद्यान्न वितरण को इनके द्वारा हड़प लिया गया है, बच्चों को किसी भी दिवस के दौरान खाद्यान्न का वितरण नहीं हुआ है।

4- विद्यालय में किसी भी शिक्षक, शिक्षिका द्वारा बच्चों की उपस्थिति दर्ज नहीं की जाती है, इंचार्ज प्रधानाध्यापक सुमन कौशल पांचों कक्षाओं की उपस्थिति स्वयं मनमाने तरीके से संख्या बढ़ाकर दर्ज करती है और वही संख्या एमडीएम पंजिका पर भी दर्ज करती हैं।

5- इनके ऊपर आज तक कार्यवाही न होने से इनकी हिम्मत बढ़ी है, इन्होंने समस्त स्टाफ को परेशान कर रखा, समय से विद्यालय नहीं पहुंचती है तथा विद्यालय में कहीं पर भी मनमाने तरीके से अपनी संपत्ति समझते हुए ताला लगा कर रखती हैं।

6-इन्होंने सरकार द्वारा बनाए गए सभी नियम कानूनों को ताक पर रख दिया है और पूरे विद्यालय को अपनी संपत्ति समझते हुए अपने हिसाब से मनमाने तरीके से विद्यालय को चलाती आई है, जिसके चलते विद्यालय के बच्चों का शोषण हो रहा है, तथा अध्यापकों द्वारा आवाज उठाने पर इनके द्वारा अध्यापकों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है।

ज्ञात हो कि इससे पहले भी इंचार्ज प्रधानाध्यापिका सुमन कौशल के खिलाफ शिकायत हुई थी। लेकिन जांच में नाम पर लीपापोती कर मामले को रफादफा कर लिया गया। वहीं इस बार भी जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद भी प्रधानाध्यापिका सुमन कौशल को बचाने में पूरा तंत्र जुट गया है।

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